नई दिल्ली। देश में हिट ऐंड रन यानी टक्कर मार कर भाग जाने के आधे से अधिक मामलों में आरोपी को सजा नहीं मिल पाती अथवा मुकदमा निर्णायक मोड़ पर नहीं पहुंच पाता। ऐसे मामलों में सजा की दर या अदालतों में सुनवाई पूरी होने की दर वर्ष 2022 में 47.9 प्रतिशत ही थी। नैशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी)के अनुसार वर्ष 2020 (58.1 फीसदी) और 2021 (51.9 फीसदी) को छोड़ दें तो हिट ऐंड रन के मामलों में बीते पांच में से तीन वर्षों में सजा की दर 50 फीसदी से नीचे ही रही।
एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक अन्य गंभीर अपराधों के मामले में सजा की दर भी बहुत कम दर्ज की गई है। हत्या के मामले में सजा की दर वर्ष 2022 में केवल 43.8 फीसदी ही थी, जबकि अपहरण के मामलों में तो यह और भी कम 33.9 फीसदी रही।
वाहन चालकों विशेषतौर पर ट्रक चालकों की हड़ताल से पूरा देश हलाकान है। वे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के स्थान पर लाए गए नए कानून भारतीय न्याय संहिता में टक्कर मार कर भाग जाने वाले वाहन चालकों के लिए सजा को दो साल से बढ़ाकर दस साल किए जाने का विरोध कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस हड़ताल के कारण पश्चिमी और उत्तरी भारत में लगभग 2000 पेट्रेाल पंपों डीजल-पेट्रोल की कमी हो गई। हालांकि गृह मंत्रालय के अधिकारियों के साथ वार्ता के बाद मंगलवार की देर रात हड़ताल समाप्त कर दी गई। मंत्रालय ने यूनियनों को भरोसा दिया है कि कानून को लागू करने से पहले उनकी सलाह ली जाएगी। हिट ऐंड रन के मामलों में चालक टक्कर मार कर भाग जाता है और पुलिस को सूचना नहीं देता है।
अधिकारियों ने एक दिन पहले यह भी कहा था कि नए कानूनों में भले कड़ी सजा का प्रावधान हो, लेकिन यदि चालक दुर्घटना के बाद स्वयं पहल कर पुलिस को सूचना देता है तो उसकी सजा और जुर्माना कम करने पर विचार किया जा सकता है।
एनसीआरबी से मिले आंकड़ों से पता चलता है कि फैसले का इंतजार कर रहे हिट ऐंड रन के मामलों की संख्या पिछले पांच सालों में तेजी से बढ़ी है। मुकदमों के लंबित होने की दर 2018 में जहां 90.4 फीसदी थी, वहीं 2022 में यह बढ़कर 93 फीसदी पहुंच गई। देश के कुल 19 महानगरों में हिट ऐंड रन के सबसे ज्यादा 696 मामले दिल्ली में दर्ज किए गए। इसके बाद लखनऊ 355, नागपुर 294, जयपुर 293 और बेंगलुरु 222 का नंबर रहा।