सीएम साय की अध्यक्षता में बैठक पूरी, पढ़े साय कैबिनेट के अहम निर्णय….

रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में उनके निवास कार्यालय में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक में अनुसूचित जाति-जनजाति सूची से तकनीकी रूप से वंचित जातियों जैसे डिहारी कोरवा, बघेल क्षत्री, संसारी उरांव, पबिया समाज के विद्यार्थियों को राज्य मद से छात्रवृत्ति और छात्रावास सुविधा देने की मंजूरी दी गई।

पढ़े साय कैबिनेट के अहम निर्णय

छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड (CSPDCL) के माध्यम से पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत घरेलू उपभोक्ताओं के घरों पर सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाने पर केंद्रीय वित्तीय सहायता के साथ-साथ राज्य की ओर से अतिरिक्त वित्तीय सहायता भी दी जाएगी, जो सोलर प्लांट की क्षमता (1 किलोवाट, 2 किलोवाट, 3 किलोवाट और उससे अधिक) के आधार पर अलग-अलग होगी। 
उदाहरण के लिए, 1 किलोवाट प्लांट के लिए कुल 45,000 रूपए, (30,000 रूपए केंद्रीय और 15,000 रूपए राज्य सहायता) जबकि 3 किलोवाट या उससे अधिक के प्लांट के लिए 1,08,000 रूपए (78,000 रूपए केंद्रीय और 30,000 रूपए राज्य सहायता) की मदद मिलेगी। हाउसिंग सोसाइटी/रेसिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशन के लिए भी इसी तरह की सहायता प्रस्तावित की गई है। यह अनुदान राशि CSPDCL को अग्रिम रूप से मिलेगी और वही इसे लाभार्थियों को देगी। वर्ष 2025-26 में 60,000 और 2026-27 में 70,000 सोलर पावर प्लांट की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। इससे वित्तीय वर्ष 2025-26 में 180 करोड़ एवं 2026-27 में 210 करोड़ रूपए का वित्तीय भार आएगा। 

CSPDCL इस योजना की कार्यान्वयन एजेंसी होगी और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE), भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार इसे लागू करेगी। कंपनी इस योजना के संचालन के लिए एक अलग बैंक खाता खोलेगी, जिसमें सब्सिडी की राशि रखी जाएगी और उसका हिसाब-किताब किया जाएगा। राज्य वित्तीय सहायता उन घरेलू उपभोक्ताओं को प्राथमिकता से दी जाएगी जिनके सोलर प्लांट का ग्रिड सिंक्रोनाइजेशन 1 अप्रैल 2025 या उसके बाद हुआ है। 
यह सोसायटी बाघों और अन्य वन्यजीवों के संरक्षण से जुड़ी गतिविधियों में सीधे शामिल होगी। यह स्थानीय समुदाय की भागीदारी से ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देगी, जिससे न केवल पर्यटन बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार और आय के अवसर भी पैदा होंगे। साथ ही, यह पर्यावरणीय शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करेगी, जिससे भविष्य के संरक्षणवादी तैयार होंगे। इस पहल से संरक्षण के लिए बाहरी धन, विशेषज्ञता और संसाधन मिलेंगे, जिससे स्थानीय समुदायों को रोज़गार के नए अवसर मिलेंगे और राज्य का पर्यावरणीय संतुलन बना रहेगा। 

यह छत्तीसगढ़ में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगी, जो जैव विविधता की रक्षा के साथ-साथ ईको-टूरिज्म को भी मजबूत आधार देगी।
ब्रांड हस्तांतरण से एग्रो व फूड प्रोसेसिंग इकाइयों को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय कच्चे माल की मांग बढ़ेगी और आदिवासी महिलाओं को  रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे। ट्रेडमार्क हस्तांतरण से राज्य पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में स्टेट मिनिरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट के तहत समस्त गौण खनिजों से प्राप्त होने वाली रायल्टी 2 प्रतिशत राशि अतिरिक्त रूप से एसएमईटी फंड में जमा की जाएगी। जिसका उपयोग गौण खनिजों के अन्वेषण, अधोसंरचना विकास में उच्च तकनीकों का उपयोग, इन्फॉर्मेशन सिस्टिम, लॉजिस्टिक सपोर्ट, मानव संसाधनों के उन्नयन आदि में किया जा सकेगा। भारत सरकार के नेशनल मिनिरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट की तर्ज पर राज्य में स्टेट मिनिरल एक्सप्लोरेशन ट्रस्ट का गठन किया जाएगा। 
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