कोर्ट ने कहा- सबूत नहीं, आरोप साबित नहीं हुए
मुंबई। मुंबई की एनआईए की विशेष अदालत ने 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में 17 साल बाद बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और मेजर (रिटायर्ड) रमेश उपाध्याय समेत सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) के तहत लगाए गए आरोप साबित नहीं हो सके।
कोर्ट ने कहा कि धमाके में इस्तेमाल मोटरसाइकिल साध्वी प्रज्ञा की होने के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले। अभियोजन यह साबित नहीं कर सका कि धमाके में RDX का उपयोग हुआ था या आरोपियों ने बम असेंबल किया था। घटनास्थल से न कोई खाली कारतूस मिला, न ही कोई डीएनए या फिंगरप्रिंट साक्ष्य सामने आया।
प्रज्ञा ठाकुर पर षड्यंत्रकारी बैठकों के आरोप भी साबित नहीं हो सके। कोर्ट ने फरीदाबाद, भोपाल में हुई कथित बैठकों को भी बेबुनियाद बताया। 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए इस धमाके में छह लोगों की मौत और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। पहले ATS और फिर NIA ने केस की जांच की थी। 323 गवाहों में से 34 पलट गए थे। 2016 में NIA ने कुछ आरोपियों को बरी करने की सिफारिश की थी।
फैसले पर वीएचपी ने कांग्रेस को आड़े हाथ लिया और माफी की मांग की है। कोर्ट ने सभी आरोपियों को फैसले के दिन उपस्थित रहने का आदेश भी दिया था। इस फैसले के साथ एक लंबे कानूनी अध्याय का अंत हुआ है।