किश्तवाड़ आपदा: 65 शव बरामद, 200 से ज्यादा लोग अब भी लापता

दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चसोटी गांव में 14 अगस्त को बादल फटने के बाद आई बाढ़ और भूस्खलन से अब तक 65 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 34 शवों की पहचान की जा चुकी है। अब तक 167 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, जिनमें से 38 की हालत गंभीर बनी हुई है। वहीं 200 से ज्यादा लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने आशंका जताई है कि मलबे में 500 से अधिक लोग दबे हो सकते हैं।

मचैल माता यात्रा के दौरान हुआ हादसा

हादसा दोपहर करीब 12:30 बजे हुआ, जब हजारों श्रद्धालु मचैल माता यात्रा के लिए पड्डर सब-डिवीजन के चसोटी गांव में ठहरे हुए थे। यहां बसें, टेंट, लंगर और दुकानें सभी बाढ़ की चपेट में आ गए। डिप्टी कमिश्नर पंकज शर्मा के अनुसार, NDRF, SDRF, राष्ट्रीय राइफल्स और पुलिस की कई टीमें रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी हुई हैं। सेना के 300 जवान, मेडिकल टीम और स्थानीय लोग भी बचाव कार्य में जुटे हैं।

त्रासदी ने भारी तबाही मचाई

यह क्षेत्र ऊंचे पहाड़ों और ढलानों से घिरा है, जहां ग्लेशियर और तेज बहाव ने तबाही को और बढ़ा दिया। मचैल माता यात्रा हर साल जुलाई से सितंबर तक चलती है और हजारों श्रद्धालु इसमें शामिल होते हैं। इस बार शुरुआती पड़ाव पर ही त्रासदी ने भारी तबाही मचाई।

सेना ने घायलों को पीठ में लादकर निकाला

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई शव कीचड़ में दबे मिले, जिनके फेफड़ों में मिट्टी भर गई थी। सेना और पुलिस ने घायलों को अपनी पीठ पर लादकर अस्पताल पहुंचाया। इस आपदा ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया है। राहत और बचाव कार्य युद्ध स्तर पर जारी है, लेकिन खराब मौसम और दुर्गम इलाके के कारण मुश्किलें बढ़ रही हैं।

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