जस्टिस वर्मा कैश कांड: सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, एफआईआर की मांग, उपराष्ट्रपति ने उठाए सवाल

दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के जज रहे जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी बंगले में मिली जली हुई करेंसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई होने जा रही है। एडवोकेट मैथ्यूज नेडुमपारा द्वारा दायर याचिका में जस्टिस वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। इस याचिका पर चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ सुनवाई करेगी।

यह मामला 14 मार्च की रात सामने आया था जब दिल्ली के लुटियंस इलाके में स्थित जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई। दमकल कर्मियों को स्टोर रूम से 500-500 रुपये के जले हुए नोटों से भरी बोरियां बरामद हुई थीं। बाद में घर के बाहर सफाई के दौरान भी अधजले नोट मिले।

इस मामले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि लोगों को उम्मीद थी कि सच्चाई सामने आएगी, लेकिन आज तक कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं हो सकी। उन्होंने शंका जताई कि क्या इस मामले में कोई “बड़ी शार्क” शामिल है।

मामले की गंभीरता को देखते हुए 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी, जिसमें पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागु, हिमाचल हाईकोर्ट के सीजे जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामण शामिल थे। कमेटी ने 3 मई को रिपोर्ट तैयार की और सीजेआई को सौंप दी। रिपोर्ट को प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को भी भेजा गया है, साथ ही जस्टिस वर्मा का जवाब भी।

इस दौरान दिल्ली फायर सर्विस चीफ अतुल गर्ग और दिल्ली पुलिस के कई अधिकारियों से भी पूछताछ हुई। गर्ग ने नोट मिलने के दावों से इनकार किया है, लेकिन दिल्ली पुलिस ने 8 अधिकारियों के मोबाइल फोनों को जब्त कर फोरेंसिक जांच के लिए भेजा है ताकि यह पता चल सके कि किसी ने घटना का वीडियो तो नहीं बनाया या उसमें छेड़छाड़ तो नहीं हुई।

इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी जस्टिस वर्मा के ट्रांसफर और उनके खिलाफ महाभियोग लाने की मांग की है। एसोसिएशन ने सीबीआई और ईडी से मामले की जांच कराने का प्रस्ताव भी पारित किया और सुप्रीम कोर्ट को इसकी प्रति भेजी।

गौरतलब है कि 2018 में भी जस्टिस वर्मा का नाम गाजियाबाद की सिम्भावली शुगर मिल में 97.85 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा था। तब वह कंपनी के नॉन-एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थे और सीबीआई ने उन पर एफआईआर दर्ज की थी, जो बाद में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बंद कर दी गई।

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