जशपुर। छत्तीसगढ़ का जशपुर जिला खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में एक उभरते हुए केंद्र के रूप में तेजी से पहचान बना रहा है।
राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमिता एवं प्रबंधन संस्थान (निफ्टेम) कुंडली, हरियाणा की टीम ने 19 से 27 नवंबर 2025 तक तीसरे वर्ष अपने ग्राम अंगीकरण कार्यक्रम के तहत जशपुर का दौरा किया। वर्ष 2023 से निफ्टेम जिले में कृषि, बागवानी और विशेष रूप से महुआ आधारित उत्पादों के प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय है।
टीम ने इस दौरान एफपीओ, स्व-सहायता समूहों और खाद्य प्रसंस्करण से जुड़े हितधारकों को गुणवत्ता, सुरक्षा मानकों, विनियमन और उद्यमिता से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
कुनकुरी स्थित कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च स्टेशन में स्थापित फूड प्रोसेसिंग ट्रेनिंग व इनक्यूबेशन सेंटर में युवाओं को मोटे अनाज आधारित बेकरी उत्पादों के निर्माण का व्यापक प्रशिक्षण दिया गया। सुजी आधारित पास्ता, पैकेजिंग, लेबलिंग और ब्रांडिंग पर भी व्यावहारिक सत्र आयोजित किए गए, जिनमें कुल 96 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें 65% महिलाएं थीं।
जशपुर की विशिष्ट जलवायु धान, कोदो-कुटकी, रागी, अदरक, स्ट्रॉबेरी, काजू, चाय और महुआ जैसी विविध फसलों के उत्पादन को लाभ देती है। इन उत्पादों के प्रसंस्करण से मूल्यवर्धित स्नैक्स, रेडी-टू-ईट उत्पाद और एनर्जी फूड विकसित किए जा सकते हैं, जिससे स्थानीय समुदायों को बेहतर आय के अवसर मिल रहे हैं। जिला प्रशासन सभी ब्लॉकों में प्रसंस्करण अवसंरचना को मजबूत करने पर कार्य कर रहा है।
निफ्टेम टीम ने महुआ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का भी निरीक्षण किया और वहां तैयार महुआ टी, महुआ च्यवनप्राश तथा अन्य नवाचारपूर्ण खाद्य उत्पादों की सराहना की। यह केंद्र वर्तमान में जय जंगल एफपीसी द्वारा संचालित है और महिलाओं को कौशल एवं आय बढ़ाने का महत्वपूर्ण माध्यम बन रहा है।
निफ्टेम निदेशक डॉ. हरिंदर सिंह ओबेरॉय तथा कार्यक्रम प्रमुख प्रो. प्रसन्ना कुमार ने जशपुर को खाद्य प्रसंस्करण का उभरता मॉडल बताते हुए इसकी संभावनाओं को और विस्तार देने की आवश्यकता पर बल दिया। तैयार “जशपुर खाद्य प्रसंस्करण विकास रिपोर्ट” को आज जिला प्रशासन को औपचारिक रूप से सौंपा गया।
