लाला उपाध्याय@चन्द्रपुर। (Janjgir-Champa) जिले के चंद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ब्लॉक मालखरौदा के ग्राम बेल्हाडीह के प्रगतिशील युवा किसान ओम प्रकाश चन्द्रा द्वारा सब्जी फसल एवं पपीता का पौधा लगाकर आत्मनिर्भर हो रहा है। ग्राम बेल्हाडीह के युवा किसान ओम प्रकाश चन्द्रा ने वकालत की पढ़ाई कर घरेलू कामकाज में खेती किसानी के कार्य में अपने हाथ बटाना शुरू किया है। पहले इन खेतों में धान की खेती करते थे।
(Janjgir-Champa) मगर अब खेतों में पपीत, बैगन, करेला , बरबट्टी की खेती कर रहे हैं। जो आज प्रगतिशील युवा किसान के रूप में क्षेत्र में जाने जाते हैं। मई-जून के महीने में नर्सरी तैयार कर ले़डी किस्म के पपीते पौधे लगाये गये हैं। उनके द्वारा आज खुद के 20 एकड़ खेत में पपीते के पौधे लगाए गये हैं, जो 180 दिन यानी कि 6 माह में तैयार हो गया। अब बेचने की तैयारी है।
कई सालों से कर रहे खेती
(Janjgir-Champa) गौरतलब है कि ब्लॉक मालखरौदा क्षेत्र के ग्राम बेल्हाडीह के प्रगतिशील युवा किसान ओम प्रकाश चंद्रा एवं भूपेंद्र चन्द्रा कई सालों से सब्जी की खेती कर रहे हैं एवं अपने खेतों में नए नए किस्म के पौधे लगाकर किस्मत आजमा रहे हैं। इस कार्य मे भाई भूपेंद्र चन्द्रा भी हमेशा साथ देते हैं।
पहली बार 20 एकड़ में लगाये पपीते के पौधे
अभी वर्तमान में पहली बार 20 एकड़ खेत में पपीता के पौधे लगाए गए हैं। एक एकड़ में 800 पौधे कुल 16 हजार पपीते के पौधे लगाए हैं। जो पक कर तैयार हो रहा है। वही 10 एकड़ खेत में बैगन एवं 5 एकड़ में करेला बरबट्टी लगाया गया है जहां 20 एकड़ में पपीता लगाया है। उसकी देख रेख के लिए नर्सरी में 22 मजदूर महिलाएं व पुरुष हर रोज काम कर रहे हैं। जो नर्सरी में आकर पपीते के पौधों का देखभाल करना, दवाई का छिड़काव एवं पानी का देना समय-समय पर नर्सरी में लगे घास को सफाई करते हैं। पपीता पक कर तैयार होने पर तोड़ कर पैकिंग करते है।
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युवा किसान ओम प्रकाश चन्द्रा ने ई टी वी से चर्चा के दौरान कहा कि 15 बरसों से सब्जी लगाने का काम कर रहे है पहले खेत मे धान लगाते थे अब सब्जी की खेती करते हैं।पहली बार 20 एकड़ खेत में पपीते के पौधा लगाए हैं ।
एमपी के किसानों को देखकर आई प्रेरणा
मध्यप्रदेश के एक किसान के 200 एकड़ में लगाए पपीते की खेती को देखने भाई भूपेंद्र चन्द्रा गया था उसी से प्रेरित होकर लगाए हैं प्रति पपीते के पौधे पर 15 रुपये का लागत आया है। खाद दवाई मजदूरों सिंचाई का खर्चा अलग है। जो पहली बार मार्केट में बेच रहे हैं। वही लगातार हुए बारिश के कारण फसल कमजोर हुआ है जितना पैदावार होने की संभावना थी उससे पपीता के फल कम लगे हैं पैदावार कम हुआ है