दिल्ली-NCR की सुरक्षा के लिए तैनात होगा स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम: ड्रोन और फाइटर जेट हमले होंगे नाकाम, अगस्त में सफल परीक्षण

दिल्ली। दिल्ली-NCR की हवाई सुरक्षा अब और मजबूत होने जा रही है। भारत सरकार राजधानी को मिसाइल, ड्रोन और फाइटर जेट जैसे हवाई खतरों से बचाने के लिए अपना स्वदेशी मल्टी-लेयर्ड इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम (IADWS) तैनात करने की तैयारी कर रही है। रक्षा मंत्रालय इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता पर आगे बढ़ा रहा है।

वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के अनुसार IADWS पूरी तरह भारत में बने हथियारों से तैयार होगा। इसमें DRDO की QRSAM मिसाइल, VSHORADS, आधुनिक रडार, सेंसर और कंट्रोल सिस्टम शामिल होंगे। इस सिस्टम को भारतीय वायुसेना ऑपरेट करेगी। 23 अगस्त को ओडिशा के तट पर इसका सफल परीक्षण भी किया गया था।

तीन टारगेट एक साथ मार गिराए

परीक्षण के दौरान IADWS ने दो हाई स्पीड अनमैन्ड ड्रोन और एक मल्टी कॉप्टर को अलग-अलग ऊंचाई व दूरी से एक साथ निशाना बनाकर नष्ट किया। सिस्टम पहले रडार से खतरे पहचानता है, फिर तेज खतरों पर QRSAM और करीब से आने वाले हमलों पर VSHORADS को एक्टिव करता है। ड्रोन जैसे सैचुरेटेड अटैक पर लेजर आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) काम करता है।

सुदर्शन चक्र मिशन का हिस्सा

यह एयर डिफेंस सिस्टम प्रधानमंत्री द्वारा घोषित ‘सुदर्शन चक्र मिशन’ का अहम हिस्सा है। यह बड़े पैमाने पर छोड़े गए ड्रोन (स्वॉर्म अटैक) का भी सामना कर सकेगा।

NASAMS-II की जगह स्वदेशी विकल्प

भारत पहले अमेरिका के महंगे NASAMS-II सिस्टम को खरीदने पर विचार कर रहा था, लेकिन लागत अधिक होने के कारण स्वदेशी सिस्टम अपनाने का निर्णय लिया गया। इसे ‘मेक इन इंडिया’ रक्षा क्षेत्र के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है।

DRDO की केंद्रीय भूमिका

DRDO रडार, डेटा लिंक और रियल-टाइम मॉनिटरिंग सिस्टम को एकीकृत करने की जिम्मेदारी निभाएगा। अधिकारियों के अनुसार यह अत्यंत जटिल लेकिन महत्वपूर्ण एयर-डिफेंस संरचना है।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद सुरक्षा पर जोर

पाकिस्तान द्वारा मई में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ड्रोन और मिसाइल खतरे बढ़ने के बाद राजधानी की सुरक्षा को और मजबूत बनाने का फैसला लिया गया था। यही कारण है कि IADWS प्रोजेक्ट को तेज गति से आगे बढ़ाया जा रहा है।

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