रायपुर। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में दो नन की गिरफ्तारी ने पूरे देश का ध्यान मानव तस्करी की ओर खींचा है। खासकर तब जब 30 जुलाई को विश्व मानव तस्करी विरोधी दिवस मनाया जा रहा है। यह मामला एक बार फिर उजागर करता है कि राज्य में आदिवासी और पिछड़े वर्ग के लोगों को कैसे झांसा देकर बाहर भेजा जा रहा है।
पुलिस आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2023 से फरवरी 2025 तक राज्य में मानव तस्करी के कुल 39 प्रकरण दर्ज हुए, जिनमें 66 पीड़ित शामिल रहे। इनमें अधिकांश नाबालिग लड़कियां और महिलाएं हैं, जिन्हें घरेलू काम, जबरन श्रम या यौन शोषण के लिए अन्य राज्यों में भेजा गया। सरगुजा, जशपुर, कोरबा, बलरामपुर और बस्तर जैसे सीमावर्ती जिले इस खतरे से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
63 हजार से अधिक लोगों ने किया पलायन
जनवरी 2024 से फरवरी 2025 के बीच प्रदेश से 63,000 से अधिक लोगों ने कामकाज की तलाश में पलायन किया। बलौदाबाजार से सबसे अधिक 13,200 लोग पलायन कर चुके हैं। जशपुर, कोरबा, बिलासपुर, रायपुर और महासमुंद जैसे जिले भी प्रभावित हैं।
जागरुकता बढ़ी, लेकिन नेटवर्क अभी भी सक्रिय
पुलिस और एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की कोशिशों से कई पीड़ितों को वापस लाया गया और 83 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। लेकिन तस्करी का नेटवर्क अभी भी गांवों में सक्रिय है।
मानव तस्करी के आंकड़े:
- 2023: 22 प्रकरण, 46 पीड़ित, 45 बरामद, 47 गिरफ्तार
- 2024: 15 प्रकरण, 17 पीड़ित, 17 बरामद, 32 गिरफ्तार
- फरवरी 2025: 2 प्रकरण, 3 पीड़ित, 3 बरामद, 4 गिरफ्तार
- कुल: 39 प्रकरण, 66 पीड़ित, 65 बरामद, 83 गिरफ्तार