नई दिल्ली। 69 साल बाद एयर इंडिया की घर वापसी हो गई है। सॉल्ट-टू-सॉफ्टवेयर समूह द्वारा अधिग्रहण से हजारों करोड़ करदाताओं के पैसे के साथ इन सभी वर्षों में बचाए गए पैसे की हानि करने वाली एयरलाइन को बेचने के असफल प्रयासों के वर्षों का अंत हो गया।
दीपम सचिव तुहीन कांत पांडेय ने कहा कि एयर इंडिया में सरकार की पूरी हिस्सेदारी टाटा संस की सब्सिडियरी कंपनी टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को ट्रांसफर कर दी गई है। अब से एयर इंडिया का नया मालिक टाटा ग्रुप है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले एन चंद्रशेखरन
इस आधिकारिक हैंडओवर से पहले टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद चंद्रशेखरन सीधे नई दिल्ली में एयर इंडिया के ऑफिस पहुंचे। इस मौके पर टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि यह प्रक्रिया पूरी हो गई है। एयर इंडिया की घर वापसी से हम काफी खुश हैं। अब हमारी कोशिश इस एयरलाइन को वर्ल्ड क्लास बनाने की है। गौरतलब है कि सरकार ने प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के बाद आठ अक्तूबर को 18,000 करोड़ रुपये में एयर इंडिया को टैलेस प्राइवेट लिमिटेड को बेच दिया था। बता दें कि यह टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी की अनुषंगी इकाई है।
पिछले साल अक्टूबर में टाटा ने जीती बोली
पिछले साल अक्टूबर में टाटा समूह ने एयर इंडिया एक्सप्रेस और एआईएसएटीएस में 50% के साथ कर्ज में डूबी एयर इंडिया के अधिग्रहण की बोली जीती। एयरलाइनों के सुचारू कामकाज के लिए, एसबीआई के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं का एक संघ टाटा समूह को ऋण प्रदान करने के लिए सहमत हो गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया सहित सभी बड़े ऋणदाता संघ का हिस्सा हैं।
एयरइंडिया पर कुल 61,562 करोड़ रुपये का कर्ज
31 अगस्त तक, एयर इंडिया पर कुल 61,562 करोड़ रुपये का कर्ज था। घाटे में चल रही एयरलाइन को टाटा समूह को सौंपने से पहले इस कर्ज का लगभग 75 प्रतिशत या 46,262 करोड़ रुपये एक विशेष प्रयोजन वाहन एआईएएचएल को हस्तांतरित किया जाएगा।