हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: वैवाहिक संबंध से इनकार और सुसाइड की धमकी मानसिक क्रूरता, पति को मिला तलाक; पत्नी को 20 लाख गुजारा भत्ता आदेश

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पति को शारीरिक संबंध बनाने से मना करना मानसिक क्रूरता की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की, जिसमें पत्नी कई वर्षों तक पति से अलग रही और संबंध बनाने पर सुसाइड की धमकी देती थी। फैमिली कोर्ट द्वारा तलाक याचिका खारिज करने के बाद पति ने हाईकोर्ट में अपील की थी। डिवीजन बेंच ने फैसला सुनाते हुए तलाक को मंजूरी दे दी और पति को पत्नी को 2 महीने के भीतर 20 लाख रुपये स्थायी गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया।

मामले के अनुसार, अंबिकापुर निवासी 45 वर्षीय व्यक्ति की शादी 30 मई 2009 को रायपुर की महिला से हुई थी। शादी के एक महीने बाद ही पत्नी उसे छोड़कर मायके चली गई। पति का आरोप था कि पत्नी वैवाहिक दायित्वों को निभाने से इनकार करती थी। 2013 में कुछ समय साथ रहने के दौरान भी पत्नी ने शारीरिक संबंध बनाने से मना किया और ऐसा करने पर सुसाइड करने की धमकी दी। मई 2014 से वह मायके में रह रही है और पति के लगातार प्रयासों के बावजूद लौटकर नहीं आई।

पत्नी ने अपने बचाव में कहा कि पति एक साध्वी के भक्त हैं और योग-साधना में लीन रहने के कारण संबंधों में रुचि नहीं रखते थे। उसने पति पर मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के आरोप लगाए, लेकिन बाद में वैवाहिक अधिकार बहाली की अपनी अर्जी भी वापस ले ली। फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक याचिका खारिज कर दी थी।

हाईकोर्ट ने रिकॉर्ड और दोनों पक्षों के बयान देखकर पाया कि दोनों 11 साल से अलग रह रहे हैं, जो स्वयं में मानसिक क्रूरता है। पत्नी ने भी स्वीकार किया कि वह अब पति के साथ नहीं रहना चाहती। इन परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने पति की तलाक अपील स्वीकार कर ली।

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