रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सुशासन नीति और सरकार की स्वास्थ्य योजनाओं की बदौलत बस्तर संभाग में स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। अब नक्सल प्रभावित जिलों में भी लोगों को बेहतर इलाज और सुविधाएं आसानी से मिल रही हैं।
राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक (NQAS), टीबी उन्मूलन अभियान और मलेरिया मुक्त अभियान जैसे प्रयासों से बस्तर में स्वास्थ्य सेवाओं को नई दिशा मिली है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बस्तर में स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार उनकी जन-केंद्रित सोच और अधिकारियों व स्वास्थ्यकर्मियों की मेहनत का नतीजा है।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने बताया कि बस्तर में घर-घर जाकर जांच, इलाज और जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इससे मलेरिया के मामलों में कमी आई है। अब तक बस्तर संभाग की 130 स्वास्थ्य संस्थाओं को गुणवत्ता प्रमाणपत्र मिल चुका है।
पिछले डेढ़ साल में बस्तर में 33 मेडिकल स्पेशलिस्ट, 117 मेडिकल ऑफिसर और 1 डेंटल सर्जन की भर्ती की गई है। इसके अलावा सैकड़ों अन्य स्टाफ की भी भर्ती की जा रही है, ताकि इलाज की सुविधाएं और मजबूत हो सकें।
नक्सल प्रभावित जिलों कांकेर, बीजापुर, सुकमा और दंतेवाड़ा में भी अब लोग बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। इन सुधारों से लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ रहा है।