रायपुर। छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी जिले में वन विभाग की योजनाओं और ग्रामीण सहभागिता ने हरियाली के साथ-साथ ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति में भी नए आयाम स्थापित किए हैं। वर्ष 2024 और 2025 में लागू कई योजनाओं से ग्रामीणों की आजीविका सशक्त हुई और पर्यावरण संरक्षण में भी वृद्धि हुई।
किसान वृक्ष मित्र योजना के तहत 642 कृषकों ने 710 एकड़ राजस्व भूमि पर कुल 4,48,220 पौधों का रोपण किया, जिससे किसानों को अतिरिक्त आय के अवसर मिले और खेतों में हरियाली का विस्तार हुआ। मातृत्व सम्मान के लिए ‘एक पेड़ माँ के नाम’ पहल के अंतर्गत 1,55,444 पौधों का वितरण किया गया।
तेंदूपत्ता संग्रहण से 76,105 संग्राहक परिवारों ने 1,16,133 मानक बोरे तेंदूपत्ता इकट्ठा किए और 63 करोड़ 87 लाख रुपए से अधिक की आय प्राप्त की। लघु धान्य जैसे कोदो, कुटकी और रागी के संग्रहण में 502 संग्राहकों को 3,041 क्विंटल उपज के बदले 97 लाख रुपए प्रदान किए गए।
महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए 38,094 महिलाओं को चरण पादुका वितरित किए गए, जिससे वन क्षेत्रों में काम करने वाली महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित हुआ। शिक्षा में योगदान देते हुए 484 वनवासी बच्चों को 58,33,500 रुपए की छात्रवृत्ति प्रदान की गई।
सामुदायिक विकास में 34 वन प्रबंधन समितियों को 38,59,100 रुपए का लाभांश प्रदान किया गया। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में पहुंच बनाने हेतु 4 रपटा, 4 पुलिया और 3 सीसी रोड का निर्माण किया गया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन आसान हुआ और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिला।
इन पहलों से मोहला जिले के ग्रामीण केवल हरियाली के संरक्षण में ही नहीं, बल्कि आर्थिक और सामाजिक रूप से भी सशक्त हुए हैं। वन विभाग की योजनाओं ने ग्रामीणों की जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाते हुए उन्हें पर्यावरण और विकास के संगम से जोड़ दिया है।
