रवि तिवारी@देवभोग। (Gariyaband) देवभोग की शिक्षा से लेकर आईएएस बनने का सफर श्री चंद्र कांत वर्मा के लिए किसी चुनोती से कम नही था। वर्मा ने 6वी क्लास से लेकर 10वी तक कि पढ़ाई देवभोग के सरकारी स्कूल में की। देवभोग थाने में पिता की पोस्टिंग होने के चलते आईएएस वर्मा पांच सालों तक देवभोग में ही रहे और यहां शिक्षा ग्रहण किया। (Gariyaband) वही आईएएस बनने के बाद उनकी पोस्टिंग गरियाबंद जिले में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत के रूप में हुई है। (Gariyaband) वर्मा का जिला में पद भार लेने के बाद देवभोग ब्लॉक में उनका पहला दौरा था।
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वही दौरे के दौरान वर्मा सबसे देवभोग थाने पहुँचे,यहां उन्होंने थाना प्रभारी हर्षवर्धन बैस से चर्चा किया। इसके बाद सीधे थाना परिसर के उस रूम में पहुँचे जिस रूम में उन्होंने अपने पिता जी के सर्विस के दिनों में अपना बचपन काटा था। सीईओ ने रूम को भी देखा इसके बाद थाना प्रभारी के साथ उस रूम के बाहर बैठकर चर्चा करते हुए बचपन के दिनों को भी याद किया। इसके बाद श्री वर्मा ने थाना परिसर में स्थित खेल मैदान को भी देखा। श्री वर्मा बचपन के दिनों में यहां खेला भी करते थे।
आईएएस बनने के तुरंत बाद गुरुजनों का आशिर्वाद लेने पहुँचे थे देवभोग
आईएएस चंद्रकांत वर्मा जैसे ही आईएएस बने थे। इसके तुरंत बाद उन्होंने देवभोग का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने स्कूल जाकर गुरुजनों से भेंट करते हुए उनका सम्मान भी किया था। यहां बताना लाज़मी होगा कि देवभोग दौरे में उस दौरान वर्मा ने कॉलेज के छात्र-छात्राओं को संबोधित करते हुए आईएएस बनने के उनके सफर के विषय में बताया था।
स्वभाव में नही आया परिवर्तन
आईएएस चंद्रकांत वर्मा के साथ पढ़े उनके दोस्त भी बताते है कि इतने बड़े पद में जाने के बाद भी वर्मा के स्वभाव में बिल्कुल परिवर्तन नही आया। वर्मा पढ़ते समय जैसे थे,आज भी बिल्कुल वैसे ही है। वे शुरू से जब भी किसी दोस्त या अन्य व्यक्ति से मिला करते थे हमेशा मुस्कुराकर बात करते थे। वही आज भी आईएएस बनने के बाद वर्मा सभी से मुस्कुराकर मिलते है। यहां बताना लाज़मी होगा कि खुशमिज़ाज़ आईएएस वर्मा की पहचान प्रदेश में एक कड़क और तेज़ तर्रार अधिकारी के रूप में है।