तांत्रिक विद्या से बना गणेश मंदिर, शमी के पेड़ से निकले हैं गणपति, दर्शन मात्र से पूरी होती है हर मनोकामना

दुर्गा प्रसाद सेन@बेमेतरा। गणेश पक्ष में चारों ओर विघ्नहर्ता की प्रतिमा की स्थापना कर पूजा-अर्चना किया जाता है …जो क्रम अनंत चतुर्दशी तक चलता है। आज हम आपको बेमेतरा जिले की एक ऐतिहासिक पुरातन धरोहर प्रदेश ही नहीं, वरन देश में विशेष स्थान रखने वाले मंदिर के बारे में बताने जा रहे है । देश की ऐतिहासिक धरोहरों में बेमेतरा जिले की अलग पहचान बनाती है वह है नवागढ़ स्थित श्री सिद्ध गणेश मंदिर। इस मंदिर की स्थापना 1312 वर्ष पहले तांत्रिक विधा से की गई थी। इस सिद्ध मंदिर के अग्रभाग में शमी वृक्ष देवतुल्य विराजित है। धर्म के मर्म को जानने वाले इसे एक दुर्लभ संयोग बताते हैं। श्रीगणेश की पूजा के बाद शमी पत्र को प्राप्त कर भक्त खुद को धन्य मानते हैं।

देश में अपनी तरह का पहला मंदिर का गौरव प्राप्त नवागढ़ के सिद्ध श्री शमी गणेश मंदिर का अपना अलग इतिहास है। सन 704 में नवागढ़ रियासत के राजा नरवर साय ने श्रीगणेश की मूर्ति स्थापित कराया साथ ही मंदिर परिसर में अष्टकोणीय कुआं का निर्माण कराया गया ।
मंदिर परिषद में स्थित विशालकाय पत्थरों के लेख, पुरातन विधा व गौरवशाली इतिहास के साक्षी हैं। धार्मिक ग्रंथों के अग्रणी प्रकाशक गीता प्रेस गोरखपुर ने इस सिद्ध शमी गणेश मंदिर को देश के दुर्लभ मंदिरों में से एक बताया ।

मंदिर को जानने वाले लोंग मानते है कि नवागढ़ का यह श्री शमी गणेश मंदिर कभी तंत्र क्रिया सिद्धि का केन्द्र हुआ करता था और गणेश मंदिर की स्थापना तंत्र सिद्धि के द्वारा ही किया गया है और यहा भारत के कोने-कोने से तात्रिक आ कर तंत्र विद्या सिखते थे । इसके साथ ही नवागढ मे हनुमान मंदिर शारदा मंदिर, महामाया मदिर शनि मंदिर है रियाशत काल के दौरान नावगढ़ में 6 आगर 6 कोरी यानी 120 तालाब थे । आज सिर्फ 20 से 30 तालाब ही बचे है।

नवागढ़ स्थित शमी गणेश मंदिर के अग्रभाग (सामने ) में शमी वृक्ष है, जो एक दुर्लभ संयोग हैं। शमी वृक्ष को साक्षात शनि का अवतार माना गया है। मान्यता है कि इसके पूजन-दर्शन व स्पर्श मात्र से विशेष प्रभाव पड़ता है व विकारी तत्वों से मुक्ति मिलती है। नवागढ़ के श्री शमी गणेश मंदिर में कष्टों के निवारण व मंगलकामना के लिए देश के कोने-कोने से वर्षभर भक्तों के आने का क्रम जारी रहता है।

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