बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में MBBS प्रवेश में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। तीन छात्राओं ने फर्जी EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) प्रमाणपत्र का उपयोग कर मेडिकल कॉलेज में सीट हासिल की थी। तहसील कार्यालय की जांच में गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद अब तीनों का एडमिशन रद्द कर दिया गया है।
जांच रिपोर्ट के मुताबिक, सुहानी सिंह, श्रेयांशी गुप्ता और भव्या मिश्रा ने बिलासपुर तहसील से जारी बताकर फर्जी प्रमाणपत्र जमा किए थे। तहसीलदार गरिमा ठाकुर ने पुष्टि की कि इन छात्राओं के नाम से कोई आवेदन दर्ज नहीं हुआ और न ही कोई प्रमाणपत्र जारी हुआ। प्रमाणपत्रों पर लगे हस्ताक्षर और सील भी असली नहीं थे।
संचालक चिकित्सा शिक्षा (DME) ने दस्तावेजों को वेरिफिकेशन के लिए तहसील भेजा था। जांच में मामला उजागर हुआ। छात्राओं को 8 सितंबर तक सही दस्तावेज पेश करने का मौका दिया गया, लेकिन समयसीमा तक वे कोई प्रमाणपत्र नहीं दे सकीं। इसके बाद नियमों के तहत उनका प्रवेश निरस्त कर दिया गया।
कलेक्टर संजय अग्रवाल ने कहा कि प्रमाणपत्र नियमानुसार जारी नहीं हुए थे, इसलिए वेरिफिकेशन में फर्जीवाड़ा पकड़ में आ गया। मामले में जिम्मेदार क्लर्क प्रहलाद सिंह नेताम को नोटिस देकर प्रभार से हटा दिया गया है। गौरतलब है कि श्रेयांशी गुप्ता भाजपा नेता सतीश गुप्ता की भतीजी हैं। अब प्रशासन इस पूरे मामले की गहन जांच कर कानूनी कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। इस खुलासे के बाद मेडिकल प्रवेश प्रक्रिया की पारदर्शिता और प्रशासनिक निगरानी पर भी सवाल उठने लगे हैं।