पहली बार नक्सलियों ने बनाई उत्तर तालमेल कमेटी, मिशन 2026 के बीच नया पैंतरा

रायपुर। बस्तर सहित पूरे दंडकारण्य में सुरक्षा बलों की लगातार दबावपूर्ण कार्रवाई, बड़े नक्सली कैडरों के सरेंडर और एनकाउंटर में मारे जाने के बाद नक्सली संगठन अब टूट की कगार पर पहुंच गया है। इसी संकटपूर्ण स्थिति में पहली बार संगठन ने एक नई संरचना तैयार की है, जिसे तालमेल कमेटी का नाम दिया गया है। इसकी पहली इकाई उत्तर तालमेल कमेटी के रूप में गठित की गई है।

अब तक नक्सली अपनी गतिविधियां एरिया कमेटी, जोन कमेटी, डिवीजन कमेटी और मिलिट्री कमेटी के माध्यम से संचालित करते थे, लेकिन इतने बड़े स्तर पर टूट-फूट के बाद संगठन ने पहली बार पूरी तरह नया फ्रेमवर्क अपनाया है। कई ऑपरेशनों में नुकसान और लगातार दबाव के कारण अलग-अलग यूनिटों के बीच संपर्क लगभग समाप्त हो चुका था। इसी टूटे हुए संवाद को फिर से जोड़ने के लिए तालमेल कमेटी बनाई गई है। सुरक्षा सूत्रों के मुताबिक यह कदम बताता है कि नक्सली अब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं।

मिशन 2026 का बढ़ता दबाव

बस्तर में चल रहे मिशन 2026 ने नक्सली संगठन की रीढ़ कमजोर कर दी है। इस मिशन का लक्ष्य मार्च 2026 तक क्षेत्र को नक्सलमुक्त बनाना है। लगातार मिल रहे ऑपरेशन संबंधी सफलता, बड़े नक्सलियों की मौत और सरेंडर की बढ़ती संख्या ने संगठन को हिला दिया है। यही कारण है कि अब नक्सली अपनी बची हुई ताकत को फिर से संगठित करने की कोशिश में हैं।

सुरक्षा एजेंसियों की नजर नई कमेटी पर

एजेंसियां मान रही हैं कि तालमेल कमेटी संगठन का नया लेकिन कमजोर बिंदु है। क्योंकि इसका उद्देश्य बिखरे हुए कैडरों को जोड़ना है, इसलिए जहां-जहां यह कमेटी सक्रिय होगी, वहां संगठन के कमजोर हिस्से भी सामने आएंगे। सुरक्षा बल इसे बड़ा अवसर मानकर निगरानी बढ़ा रहे हैं।

क्यों बनानी पड़ी तालमेल कमेटी

क्या करेगी तालमेल कमेटी

नक्सलियों की यह नई रणनीति बताती है कि संगठन अब हर स्तर पर संघर्ष कर रहा है और सुरक्षा बलों का दबाव पहले से कहीं अधिक प्रभावी हो चुका है।

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