नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने एक कार्यक्रम में कहा कि किसी भी नेता की पहली वफादारी पार्टी से पहले देश के प्रति होनी चाहिए। कोच्चि में ‘शांति, सद्भाव और राष्ट्रीय विकास’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में थरूर ने कहा कि राजनीतिक दल देश को बेहतर बनाने का एक माध्यम हैं, लेकिन जब देश ही नहीं बचेगा तो दलों का क्या महत्व? उन्होंने कहा, “अगर हम देश के हित में अन्य दलों के साथ मिलकर काम करें, तो उसे गद्दारी समझा जाता है। यही सबसे बड़ी दिक्कत है। राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन राष्ट्रीय संकट के समय एकजुटता जरूरी है।”
ऑपरेशन सिंदूर की कर चुके तारीफ
थरूर हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी की विदेश नीति और ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ कर चुके हैं, जिससे कांग्रेस पार्टी में नाराजगी देखी गई। उन्होंने पहले भी आपातकाल (1975) को इतिहास का काला अध्याय बताया था और संजय गांधी के नसबंदी अभियान को क्रूर करार दिया था। उनका कहना है कि लोकतंत्र को हल्के में नहीं लेना चाहिए। 23 जून को ‘द हिंदू’ में उन्होंने लिखा था कि मोदी की ऊर्जा और वैश्विक मंच पर उनकी सक्रियता भारत के लिए एक संपत्ति है। कांग्रेस ने इसे उनकी निजी राय बताते हुए किनारा कर लिया।
खड़गे ने कसा तंज
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस पर तंज कसते हुए कहा था, “हमारे लिए देश पहले है, लेकिन कुछ लोगों के लिए मोदी फर्स्ट हैं।” थरूर ने सफाई में कहा कि विदेश नीति पर कांग्रेस या भाजपा नहीं, बल्कि केवल भारतीय हित होना चाहिए। हालांकि कांग्रेस मोदी सरकार की विदेश नीति को असफल मानती है और थरूर के रुख को पार्टी लाइन से अलग बता रही है।