मनीष सरवैया@महासमुंद। पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में सुशासन के एक साल पूरा होने की खुशियां भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और भाजपा के विधायक और सांसद मना रहे हैं। लेकिन महासमुंद ब्लॉक के ग्राम गोंडपाली ग्राम पंचायत जोबा कला निवासी कुमारी मिथलेश निषाद और राजेंद्र निषाद के लिए सुशासन मात्र नाम का ही है। बेघर भाई बहन जन प्रतिनिधियों और सरकारी दफ्तरों में प्रधानमंत्री आवास के लिए चक्कर काट रहे हैं, लेकिन इस अनाथ भाई बहनों की कोई सुध लेने वाला नहीं है। शासन और प्रशासन ,राजनेता के पास इतना समय भी नहीं है कि इस ग़रीबी भाई बहन की पीड़ा सुने और इनकी परेशान दूर कर दे।
महासमुंद ब्लॉक के ग्राम पंचायत जोबा कला के आश्रित ग्राम गोंडपाली निवासी कुमारी मिथलेश निषाद अपने भाई राजेंद्र निषाद के साथ निवास करती है। सन 2017 में इनके पिता बीसी केसन निषाद की मृत्यु हो गई। उसके बाद सन 2022 में माता जानकी बाई की मृत्यु हो गई। घर में परिवार के नाम पर दोनों भाई बहन बच गए। वैसे रिश्तेदारों में और भी लोग इस परिवार में हैं पर सभी रिश्ते सिर्फ नाम के ही हैं । माता पिता के चले जाने के बाद तो जैसे इस भाई बहन पर गरीबी की आफत की इंतहा हो गई। माता पिता द्वारा बनाए मिट्टी के घर में जैसे तैसे कर जीवन यापन कर रहे थे। लेकिन ऊपर वाले को ये भी रास नहीं आया और पिछली बारिश में इसका कच्चा मिट्टी का मकान भी बरसात की भेंट चढ़ गया। दोनों भाई बहनों ने गांव के ही एक व्यक्ति के घर में रह-रहे हैं। अब वह मकान मालिक भी इन्हें घर खाली करने को कह रहा है।
अपने छोटे भाई राजेंद्र निषाद , व कुमारी मिथलेश निषाद गांव के सरपंच सचिव ने प्रधानमंत्री आवास दिलवाने का निवेदन करती रही पर सभी ने नियम व कानून की बात करते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलवाने ने असमर्थता जाहिर कर दी है।
कहने को तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार के पास ऐसे अनाथ बच्चों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है लेकिन इस अनाथ और गरीब भाई बहनों के लिए कुछ भी योजना नहीं है ना ही इस भाई बहन के लिए कोई विचार तक किया जा रहा है।
कुमारी मिथलेश निषाद ने प्रधानमंत्री आवास के लिए आवेदन किया था। मिथलेश निषाद का कहना है कि सूची में नाम आया था लेकिन उनको आवास नहीं दिया गया क्योंकि की सर्वे सूची में उनका नाम नहीं है। ग्राम पंचायत जोबा कला के सरपंच पति का कहना है कि सर्वे सूची में नाम नहीं होने की वजह से मिथलेश निषाद को आवास का लाभ नहीं मिल पाया है। सरपंच पति ने मामले की जानकारी स्थानीय विधायक योगेश्वर राजू सिन्हा को भी मामले से अवगत कराया है। लेकिन अब तक इस अनाथ भाई बहनों के लिए किसी भी जनप्रतिनिधि द्वारा मदद के लिए सामने आए हैं ना ही जिले के कोई अधिकारी इस गरीब अनाथ भाई बहनों के लिए कुछ करने को राजी हुए हैं।
अब शासन प्रशासन को सोचना होगा के उनके द्वारा छत्तीसगढ़ में सुशासन की पींगे मारने वाले का क्या फायदा और कैसा सुशासन जहां एक गरीब भाई बहन को रहने के लिए छत तक नहीं दिया जा रहा है। सुशासन सिर्फ कानों में सुनाई दे रहा है लेकिन इसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है।