दिल्ली। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मामलों और PMLA कानून की धाराओं को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं।
इनमें से एक याचिका (नंबर 303) कोर्ट ने सुनने से इनकार कर दी, जिसके बाद वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने याचिका को वापस ले लिया। कोर्ट ने इसे दो शर्तों के साथ स्वीकार किया। अब दूसरी याचिका (नंबर 301) पर 6 अगस्त को सुनवाई होगी।
क्या है मामला
भूपेश बघेल ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की कुछ धाराओं को असंवैधानिक बताते हुए चुनौती दी थी।याचिका 303 में उन्होंने खासतौर पर धारा 45 को लेकर सवाल उठाए थे।
इस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा:
“ऐसे अपवाद हर बार सिर्फ प्रभावशाली लोगों के लिए क्यों होते हैं? आम लोगों के लिए क्या रास्ता बचेगा?”
कोर्ट में क्या हुआ?
सिंघवी की दलीलें:
धारा 44 के तहत मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना बार-बार चार्जशीट दाखिल नहीं होनी चाहिए।
बार-बार चार्जशीट से डिफॉल्ट बेल का हक खत्म हो रहा है।
धारा 45 की व्याख्या कानून से बाहर नहीं की जा सकती।
कोर्ट की टिप्पणी:
“आप ये बातें विशेष अदालत में भी उठा सकते हैं।”
“संवैधानिक चुनौती के बजाय आप केवल व्याख्या पर ज़ोर दे रहे हैं।”
“अगर आप कानून की धाराओं को चुनौती देना चाहते हैं तो नई याचिका दाखिल करें।”
कोर्ट का आदेश:
याचिका 303 को वापस लेने की अनुमति दी गई।
दो स्वतंत्रताएं दी गईं:
धारा 50 और 63 को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दाखिल करने की छूट
अन्य सभी मुद्दों को हाईकोर्ट में उठाने की छूट
कपिल सिब्बल और रोहतगी ने क्या कहा?
कपिल सिब्बल:
“ED अपनी मर्जी से बार-बार चार्जशीट दाखिल कर रहा है — पहले 7, फिर 11, फिर 9 आरोपी… कोई भी कभी भी आरोपी बन सकता है।”
“जांच अधिकारी पुलिस नहीं हैं, फिर भी कई बार चार्जशीट दाखिल कर रहे हैं।”
कोर्ट ने कहा:
“यह संवैधानिकता नहीं, दुरुपयोग का मामला है। अगर ऐसा है, तो हाईकोर्ट में चुनौती दीजिए।”
सिब्बल: “यह मामला पहले से ही सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू में लंबित है।”
कोर्ट: “ठीक है, फिर इसे 6 अगस्त को सूचीबद्ध किया जाएगा।”
मुकुल रोहतगी ने भी धारा 49 को चुनौती दी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें भी हाईकोर्ट जाने की सलाह दी।