रायपुर। सारंगढ-बिलाईगढ़ जिले के ग्राम नवापाली के प्रगतिशील किसान मुकेश चौधरी ने आधुनिक कृषि तकनीक और नवाचार अपनाकर पारंपरिक खेती की सोच बदल दी है। उन्होंने ड्रिप पद्धति से धान और मिर्ची की खेती कर प्रतिवर्ष लाखों रुपये की आमदनी अर्जित की है और आज वे सफल कृषि उद्यमी के रूप में जाने जाते हैं।
मुकेश चौधरी ने वर्ष 2011 में दो एकड़ भूमि पर पारंपरिक तरीके से मिर्ची की खेती शुरू की थी। उद्यान रोपणी केंद्र, नदीगांव के वरिष्ठ अधीक्षक सुरेन्द्र पटेल के मार्गदर्शन से उन्होंने ड्रिप पद्धति अपनाई। 2013 में बरमकेला ब्लॉक में पहली बार ड्रिप तकनीक से मिर्ची की खेती शुरू की गई। इस तकनीक में खेतों की गहरी जुताई, मेड निर्माण, लेटरल पाइप बिछाना और मल्चिंग शामिल है।
संतुलित सिंचाई, खाद और दवा देने से मिर्ची की उपज लगभग दोगुनी हो गई। बेहतर परिणामों को देखकर उन्होंने धान का रकबा कम कर मिर्ची की खेती बढ़ाई और अब लगभग 12 एकड़ भूमि पर खेती कर रहे हैं। उनकी सफलता से आसपास के कई किसान खिंचरी, बांजीपाली, बेंद्रापारा, नूनपानी, लिंजिर और प्रधानपुर भी धान के साथ मिर्ची और साग-सब्जी की खेती ड्रिप पद्धति से कर रहे हैं।
वर्ष 2021 में उनके नवाचार और जैविक खेती के प्रयासों के लिए राज्य सरकार ने उन्हें डॉ. खूबचंद बघेल कृषक रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके साथ ही उन्हें बीआरसी के रूप में प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण और बीज उपचार के कार्यों की जिम्मेदारी भी मिली।
कृषि विभाग के अनुसार, मुकेश चौधरी की यह पहल केवल उनकी आमदनी बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि क्षेत्र के किसानों के लिए प्रेरणा बनकर आय और संसाधनों की बचत दोनों में योगदान दे रही है। उनका उदाहरण यह दिखाता है कि ड्रिप तकनीक और फसल विविधीकरण अपनाकर खेती को टिकाऊ और लाभकारी बनाया जा सकता है।
