डोंगरगढ़। मां बम्लेश्वरी मंदिर, जो सदियों से आस्था और श्रद्धा का केंद्र रहा है, इन दिनों आरोप-प्रत्यारोपों के जाल में उलझ गया है। नवरात्र की पंचमी से शुरू हुआ विवाद अब एक संगठित साज़िश की शक्ल लेता जा रहा है। गोंड समाज ने मंदिर ट्रस्ट समिति पर “मूलनिवासियों की आवाज़ दबाने और समाज को बांटने” का आरोप लगाया है।
विवाद की जड़ पंचमी पूजा के दौरान गर्भगृह में आंगादेव और राजपरिवार के राजकुमार भवानीबहादुर के प्रवेश को लेकर शुरू हुई। गोंड समाज का कहना है कि परंपरा में सदैव उनका स्थान रहा है, लेकिन ट्रस्ट अब “आस्था को रसूख में बदलने” की कोशिश कर रही है। गोंड महासभा के अध्यक्ष रमेश उइके ने आरोप लगाया कि ट्रस्ट समिति पहले सर्व हिंदू समाज के नाम पर गोंड समाज का विरोध करवा रही थी, और अब “ख़रीदे हुए आदिवासियों” को आगे कर भ्रम फैलाने का प्रयास कर रही है।
सोमवार को हुई प्रेस कॉन्फ़्रेंस को लेकर भी गोंड समाज ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि यह प्रेस वार्ता “फर्ज़ी” थी और इसमें शामिल एम.डी. ठाकुर का समाज से कोई संबंध नहीं है। रमेश उइके के अनुसार, “जो लोग उस दिन मंच पर बैठे थे, वे कभी भी पंचमी भेट या समाज के किसी कार्यक्रम में नहीं दिखे। यह समाज को तोड़ने की साज़िश है।”
गोंड समाज का कहना है कि वह अपनी परंपरा और सम्मान की रक्षा के लिए एकजुट है। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी—“मां बम्लेश्वरी हमारी आराध्य देवी हैं, मंदिर किसी रसूखदार की संपत्ति नहीं है।” समाज ने 8 नवंबर को डोंगरगढ़ तहसील में निर्णायक बैठक और 15 नवंबर को आंदोलन की तैयारी का एलान किया है।
