बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में 25 अक्टूबर से चार दिवसीय छठ महापर्व की शुरुआत हो गई। पहले दिन नहाय-खाय के साथ व्रती व्रत प्रारंभ करते हैं और शाम को अरपा मइया की महाआरती के साथ पर्व का औपचारिक आगाज किया गया। बिलासपुर का तोरवा छठ घाट देश का सबसे बड़ा स्थायी घाट है, जो लगभग 7 एकड़ में फैला हुआ है। यहां एक साथ 50 हजार से अधिक श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं।
घाट को दिवाली की तरह आकर्षक लाइट और सजावट से रोशन किया गया है। आयोजन समिति ने घाट की साफ-सफाई, बैरिकेडिंग और अन्य सुरक्षा व व्यवस्थाओं का विशेष ध्यान रखा। रंग-बिरंगी पटाखों और रोशनी के बीच अरपा नदी के तट का नजारा बेहद मनोहारी लग रहा है।
पाटलीपुत्र संस्कृति विकास मंच, भोजपुरी समाज और सहजानंद समाज के संयुक्त तत्वाधान में पिछले 25 वर्षों से यह महापर्व मनाया जा रहा है। इस बार सिल्वर जुबली वर्ष के रूप में आयोजन किया गया है। तैयारी के दौरान कलेक्टर संजय अग्रवाल, एसएसपी रजनेश सिंह और निगम आयुक्त अमित कुमार ने घाट का निरीक्षण किया।
छठ पर्व में व्रती महिलाएं 36 घंटे का निर्जला व्रत करती हैं। दूसरे दिन 26 अक्टूबर को खरना होता है और 27 अक्टूबर की शाम डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अंतिम दिन 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन और पारणा किया जाएगा।
इस दौरान सूर्य आराधना के साथ छठी मइया की पूजा-अर्चना भी की जाती है। घाट पर पूजा बेदी, आकर्षक लाइटिंग और आतिशबाजी के साथ पर्व की धूम चारों दिन बनी रहेगी। आयोजन समिति के प्रमुख सदस्य प्रवीण झा, डॉ. धर्मेंद्र कुमार दास, अभय नारायण राय, सुधीर झा समेत कई कार्यकर्ता तैयारियों और व्यवस्थाओं में जुटे हुए हैं। इस वर्ष का छठ महापर्व श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए ऐतिहासिक अनुभव साबित होगा।
