बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के सिद्धि माता मंदिर में हर साल होली के दूसरे दिन से लेकर 13 दिनों तक बकरों की बलि दी जाती है। इस प्रथा को बंद करने की मांग को लेकर दंड स्वामी ज्योतिर्मयानंद महाराज और सैकड़ों लोग सड़क पर उतरकर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं।
वे मंदिर में होने वाली बलि प्रथा को रोकने की मांग कर रहे हैं। बेमेतरा से 15 किलोमीटर दूर ग्राम संडी में स्थित सिद्धि माता का मंदिर एक खेत में छोटी सी कुटिया में है। मान्यता है कि एक किसान, जीवन लाला साहू, को स्वप्न में माता सिद्धि के दर्शन हुए थे। 1965 में हल चलाते समय खेत में माता के स्वरूप की मूर्ति मिली। उस समय से यह मंदिर प्रसिद्ध हुआ और लोग अपनी मन्नतें पूरी करने के लिए यहां आते हैं।
बलि देने की प्रथा
लोगों का मानना है कि जब जीवन साहू की पत्नी बार-बार अपने मायके चली जाती थी, तो उन्होंने माता से मन्नत मांगी कि वह वापस घर लौटे और संतान प्राप्त हो। इसके बाद उनकी पत्नी वापस घर आई और कुछ समय बाद उन्हें पुत्र प्राप्त हुआ। खुशी में जीवन साहू ने माता के नाम पर बकरा की बलि दी। तब से यह परंपरा चली आ रही है।
जहां लोग अपनी मन्नतें पूरी होने पर होली के दूसरे दिन से लेकर 13 दिनों तक बकरों की बलि देते हैं। अब इस प्रथा के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है, और लोग इसे बंद करने की मांग कर रहे हैं। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्वक समाधान की कोशिश कर रहे हैं।