भोपाल। मध्य प्रदेश में बकरीद से पहले कुर्बानी को लेकर विवाद शुरू हो गया है। राजधानी भोपाल में ‘संस्कृति बचाओ मंच’ ने पशु बलि के खिलाफ अनोखी पहल करते हुए मिट्टी से बने इको-फ्रेंडली बकरे तैयार किए हैं। मंच के प्रमुख चंद्रशेखर तिवारी ने बताया कि उन्होंने 10 प्रतीकात्मक बकरे बनाए हैं, जिनमें से 2 की बुकिंग हो चुकी है। उनका कहना है कि इससे पशु हिंसा कम होगी और पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता बढ़ेगी।
तिवारी ने स्पष्ट किया कि उनका मकसद किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाना नहीं है, बल्कि प्रतीकात्मक कुर्बानी को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा, “दिवाली पर इको-फ्रेंडली पटाखे और होली पर इको-फ्रेंडली रंग अपनाए जाते हैं, तो बकरीद पर भी ऐसा क्यों नहीं?” हालांकि, ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने इस पर आपत्ति जताई है। बोर्ड के एमपी अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी ने कहा कि असली कुर्बानी धार्मिक परंपरा है, जिसमें मांस जरूरतमंदों को बांटा जाता है और पर्यावरण को नुकसान नहीं होता।
पंचायत में नहीं दी कुर्बानी की अनुमति
भोपाल के बाद विदिशा के हैदरगढ़ गांव में भी विवाद गहरा गया है। यहां ग्राम पंचायत ने खुले स्थान पर कुर्बानी की अनुमति नहीं दी, जिस पर मुस्लिम समुदाय के भूरा मियां ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। हाईकोर्ट ने मामला जिला प्रशासन को सौंप दिया है, अब एसडीएम तय करेंगे कि कुर्बानी की अनुमति कहां और कैसे दी जाए। मुस्लिम समाज का कहना है कि पहले भी तय स्थान पर कुर्बानी दी जाती रही है, फिर इस बार रोक क्यों? मामला धार्मिक परंपरा और सामाजिक सौहार्द के संतुलन पर केंद्रित होता जा रहा है।