रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीतकालीन सत्र से पहले, 12 दिसंबर, शुक्रवार को राजीव भवन में कांग्रेस विधायक दल की बैठक आयोजित की गई।
इस बैठक में निर्णय लिया गया कि सत्र के पहले दिन कांग्रेस के सभी विधायक और नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत विधानसभा में शामिल नहीं होंगे। इसके तहत कांग्रेस पहले दिन सत्र का बहिष्कार करेगी और सरकार को सदन में घेरने की रणनीति अपनाएगी।
बैठक की अध्यक्षता नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने की। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज और सभी वरिष्ठ विधायक उपस्थित रहे। बैठक में सदन के भीतर सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने की योजना पर चर्चा हुई। नेता प्रतिपक्ष डॉ. महंत ने कहा कि 14 दिसंबर से शुरू होने वाले सत्र में “विजन 2047” योजना को लेकर केवल प्रचार किया जा रहा है।
उनका आरोप है कि इस योजना में छत्तीसगढ़ के लोगों और प्रदेश की माटी के हित में कोई ठोस प्रावधान नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में बढ़ती हिंसा, चाकूबाजी और हत्याओं की घटनाएं आम जनता की सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगाती हैं। कृषि क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर उन्होंने कहा कि किसानों को धान खरीदी के लिए समय पर टोकन नहीं मिल रहे हैं और इससे उनकी आय प्रभावित हो रही है।
वहीं, बिजली बिलों में लगातार वृद्धि हो रही है, जिससे आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। जमीन से संबंधित नई गाइडलाइन और उसके बदलावों को भी उन्होंने जनता के हित के विपरीत बताया। इन सभी कारणों से कांग्रेस ने सत्र के पहले दिन विधानसभा का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। इस बहिष्कार के माध्यम से विपक्ष यह संदेश देना चाहता है कि सरकार के प्रशासनिक और नीतिगत निर्णय जनता की अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं हैं। कांग्रेस का यह कदम सरकार पर दबाव बनाने और मुद्दों को विधानसभा के भीतर प्रमुखता से उठाने के उद्देश्य से है।
