छत्तीसगढ़ में 58% आरक्षण पर भ्रम बरकरार: हाईकोर्ट में सुनवाई, प्रभावित अभ्यर्थियों ने मांगी स्पष्टता

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में 58% आरक्षण लागू रखने के राज्य सरकार के फैसले को लेकर एक बार फिर विवाद गहराता दिख रहा है।

इस संबंध में प्रभावित अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। उनका कहना है कि राज्य में अलग-अलग आरक्षण रोस्टर चलने से भर्ती प्रक्रियाओं में पदों की संख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है और वे असमंजस की स्थिति में हैं। अभ्यर्थियों का तर्क है कि जब तक आरक्षण को लेकर कानूनी स्थिति अंतिम रूप से स्पष्ट नहीं हो जाती, तब तक भर्तियों में 58% आरक्षण लागू करना न्यायसंगत नहीं है।

ज्ञात हो कि 19 सितंबर 2022 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 58% आरक्षण को असंवैधानिक करार दिया था। इसके खिलाफ राज्य सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी और मामला वहां लंबित है। अतिरिक्त महाधिवक्ता ने न्यायालय को बताया कि उच्चतम न्यायालय से अब तक 58% आरक्षण बनाए रखने के लिए कोई स्टे आदेश प्राप्त नहीं हुआ है। इसके बावजूद अमीन पटवारी, एडीईओ और अन्य भर्ती प्रक्रियाओं में 58% आरक्षण लागू किया जा रहा है, जिस पर याचिकाकर्ताओं ने आपत्ति जताई है।

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान माना कि राज्य सरकार द्वारा 58% आरक्षण का पालन करना उसके पूर्व आदेश की अवमानना प्रतीत होता है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन होने के कारण हाईकोर्ट ने इस समय सीधे हस्तक्षेप से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय में निर्णय आने के बाद इस मामले की सुनवाई की जाएगी और तब याचिकाकर्ताओं को राहत पर विचार किया जाएगा।

फिलहाल, अभ्यर्थियों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है और सभी की निगाहें सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले पर टिकी हैं, जो राज्य में आरक्षण व्यवस्था की दिशा तय करेगा।

Exit mobile version