चाइनीज मांझे का कहर: गले में मांझा फसने से युवक हुआ चोटिल, उपाचार जारी

गोरखपुर। गोरखपुर में प्रतिबंधित चाइनीज मांझे से हादसे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। शुक्रवार शाम सूरजकुंड निवासी प्रसून त्रिपाठी की गर्दन तरंग ओवरब्रिज से हुमायूंपुर जाते समय मांझे में फंस गई। उन्होंने तुरंत गाड़ी रोकी और किसी तरह मांझा हटाया, लेकिन गर्दन के पिछले हिस्से में चोट आ गई। उनका कहना है कि यदि गाड़ी तेज होती, तो जान भी जा सकती थी।

यह पहला मामला नहीं है। 30 जुलाई को अमित गुप्ता भी ऐसे ही हादसे का शिकार हुए थे। वह बाइक से अपनी मां को लेकर जा रहे थे, तभी सूरजकुंड ओवरब्रिज पर मांझा गर्दन में लिपट गया। उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया और ऑपरेशन करना पड़ा। वर्तमान में उनका उपचार जारी है।

हालांकि राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने 2017 में चाइनीज मांझे की बिक्री पर पाबंदी लगाई थी और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत उल्लंघन करने वालों के खिलाफ पांच साल की सजा या एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया था, फिर भी इसकी बिक्री जारी है। राजघाट, कोतवाली, तिवारीपुर समेत शहर के कई क्षेत्रों और ग्रामीण इलाकों में खुलेआम मांझा बेचा जा रहा है, जिसे बरेली और कानपुर से मंगवाया जाता है।

अब तक कई लोग इस खतरनाक मांझे से घायल हो चुके हैं, जिनमें सुहानी गुप्ता, विजय प्रकाश चौधरी, होमगार्ड जयराम प्रसाद, ईशानंद पांडेय, यूपी पुलिस का एक सिपाही और एक आठ वर्षीय बच्चा शामिल हैं। इन हादसों में कई को सिर, गर्दन, होंठ और नाक पर गहरे घाव आए, जिनमें से कुछ को कई टांके लगवाने पड़े। स्थानीय लोग पुलिस और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, ताकि प्रतिबंधित चाइनीज मांझे की बिक्री पूरी तरह बंद हो और भविष्य में ऐसे हादसों को रोका जा सके।

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