छत्तीसगढ़ बनेगा हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पादों का नया हब: CM साय

रायपुर। छत्तीसगढ़ अब हर्बल और आयुर्वेदिक उत्पादों का प्रमुख केंद्र बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुर्ग जिले के जामगांव (एम) में देश की सबसे बड़ी और आधुनिक केंद्रीय प्रसंस्करण इकाई स्थापित की गई है, जहां सालाना लगभग 50 करोड़ रुपये के आयुर्वेदिक उत्पादों का निर्माण और पैकिंग की जाएगी।

यह यूनिट छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ द्वारा बनाई गई है। यहां जंगलों से मिलने वाली जड़ी-बूटियों और वनोपजों का स्थानीय स्तर पर प्रसंस्करण किया जाएगा। यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “वोकल फॉर लोकल” और “आत्मनिर्भर भारत” के विजन के अनुरूप है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की विशेष पहल पर राज्य में वनोपजों के वैल्यू एडिशन और प्रोसेसिंग को बढ़ावा दिया जा रहा है। नई उद्योग नीति में इन इकाइयों को विशेष प्राथमिकता दी गई है।

27.87 एकड़ में फैली है यूनिट

जामगांव में बनी यह हाईटेक यूनिट 27.87 एकड़ में फैली है और यहां आयुर्वेदिक चूर्ण, सिरप, तेल, अवलेह और टैबलेट जैसे उत्पाद आधुनिक मशीनों से तैयार किए जाएंगे। इसके अलावा, हर्बल एक्सट्रैक्शन यूनिट भी 6.04 एकड़ में बनाई गई है, जिसमें गिलोय, कालमेघ, अश्वगंधा, सफेद मूसली जैसी जड़ी-बूटियों से अर्क निकाला जाएगा।

इस पूरी परियोजना पर करीब 60 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। यूनिट में पीपीपी मॉडल पर मशीनों की स्थापना और संचालन किया जाएगा। यह इकाई “फॉरेस्ट टू फार्मेसी” मॉडल का उदाहरण बनेगी और 2000 से अधिक स्थानीय लोगों को रोजगार देगी। खासकर आदिवासी, वनवासी और महिलाएं लघु वनोपज संग्रहण और प्रसंस्करण में शामिल होकर अच्छी आमदनी पा सकेंगी। छत्तीसगढ़ की यह पहल राज्य को आयुर्वेद और हर्बल उत्पादों के क्षेत्र में देशभर में नई पहचान दिलाएगी।

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