दो साल में 4 हजार से ज्यादा नक्सली सरेंडर या गिरफ्तार, 500 मुठभेड़ों में ढेर
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है और यह अब आखिरी सांसें गिन रहा है।” मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राजनांदगांव में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ये बाते दोहराई।
सीएम साय ने बताया, कि राज्य सरकार के दो वर्ष नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में ऐतिहासिक साबित हुए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के लक्ष्य 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद समाप्त करने को पूरा करने की ओर राज्य तेजी से बढ़ रहा है।
सीएम साय ने कहा कि पिछले दो साल में सुरक्षा बलों ने 500 से अधिक मुठभेड़ों में नक्सलियों को ढेर किया है, जबकि 4,000 से ज्यादा नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया या गिरफ्तार हुए हैं। बस्तर में नक्सल नेटवर्क बुरी तरह कमजोर पड़ा है और सुरक्षा बल निर्णायक बढ़त बना चुके हैं।
मुख्यमंत्री ने पुनर्वास नीति का जिक्र करते हुए बताया कि आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए 15 हजार प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत किए गए हैं। तीन साल तक 10 हजार रुपये प्रतिमाह आर्थिक सहायता, कौशल प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर देकर उन्हें मुख्यधारा से जोड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा “गोली की भाषा छोड़कर अब विकास की बात हो रही है। पंडुम कैफे जैसी पहलें नए बस्तर की पहचान हैं।”
सीएम ने बताया कि 400 से ज्यादा खाली गांव फिर से आबाद हो चुके हैं। जहां कभी गोलियों की आवाज गूंजती थी, वहां आज स्कूल की घंटियां, ध्वजारोहण और चुनाव में उत्साह दिखाई दे रहा है। सड़क, बिजली, मोबाइल नेटवर्क, स्वास्थ्य सेवाएं और पेयजल जैसी सुविधाएं तेजी से पहुँच रही हैं।
पर्यटन को उद्योग का दर्जा मिलने से कुटुमसर गुफा, अबूझमाड़, झरने और जनजातीय संस्कृति अब वैश्विक पहचान पा रहे हैं। ग्रामीणों को होम-स्टे और वनोपज आधारित उद्योगों से रोजगार मिल रहा है।
अंत में मुख्यमंत्री साय ने कहा, कि “नक्सलवाद पर मिली यह जीत हमारे शहीद जवानों, सुरक्षा बलों और जनता के विश्वास की विजय है। बस्तर अब नक्सलवाद से मुक्त होकर विकास की राह पर दौड़ेगा।”

