रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार के मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान को बड़ी सफलता मिली है। हाल ही में हुए सर्वे में सामने आया कि 61.8 फीसदी मलेरिया मरीज ऐसे थे, जिनमें कोई लक्षण नहीं थे, लेकिन समय रहते उनकी पहचान कर ली गई। इससे बीमारी के फैलाव को रोका जा सका।
सरकार ने 25 जून से 14 जुलाई के बीच घर-घर जाकर 1,39,638 लोगों की मलेरिया जांच की। इसमें 1,884 लोग पॉजिटिव पाए गए, जिनमें से 1,165 मरीज बिना किसी लक्षण के थे। अगर इनकी पहचान न होती, तो संक्रमण और फैल सकता था। सबसे ज्यादा प्रभावित बच्चे हैं, जो कुल मामलों का 75 फीसदी हैं।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, “हमारी नीति साफ है — बीमारी का इंतजार मत करो, बीमारी से पहले पहुँचो। यह सफलता राज्य को मलेरिया मुक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम है।”
दंतेवाड़ा और सुकमा में अभियान का असर
दंतेवाड़ा में 706 मरीज मिले, जिनमें 574 बिना लक्षण वाले थे।सुकमा में 372 मरीज मिले, जिनमें 276 बिना लक्षण वाले थे। यह बताता है कि अब जंगल और दुर्गम इलाकों में भी स्वास्थ्य सेवाएं पहुँच रही हैं। सर्वे के दौरान 27266 घरों में टीमों ने स्क्रीनिंग की और 1247 गर्भवती महिलाओं की जांच हुई, जिनमें सिर्फ 10 पॉजिटिव पाई गईं।
इसके अलावा 92 फीसदी घरों में मच्छरदानी का उपयोग हो रहा है और मच्छर मारने के लिए इंडोर स्प्रे का कवरेज 68.73 फीसदी तक पहुँच गया है। सरकार का कहना है कि यह अभियान सिर्फ इलाज नहीं, बल्कि जागरूकता, समय पर जांच और बेहतर पहुँच पर आधारित है। शासन का उद्देश्य है कि छत्तीसगढ़ को पूरी तरह मलेरिया मुक्त किया जाए।