छत्तीसगढ़ कस्टम मिलिंग घोटाला: 140 करोड़ रुपए की अवैध वसूली में अफसरों, कारोबारियों और मिलर्स की भूमिका उजागर

रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए 140 करोड़ रुपए के कस्टम मिलिंग घोटाले में अफसरों और कारोबारियों के साथ-साथ राइस मिलर्स की भी भूमिका सामने आई है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) की 1500 पेज की चार्जशीट में खुलासा हुआ है कि इस घोटाले के जरिए मिलर्स ने भी भारी मुनाफा कमाया। इसमें रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा, कारोबारी अनवर ढेबर, सिद्धार्थ सिंघानिया, रोशन चंद्राकर, राइस मिलर्स एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट कैलाश रूंगटा, पारसमल चोपड़ा, पूर्व MD मनोज सोनी और अधिकारी पूजा केरकेट्टा को शामिल बताया गया है।

ED के अनुसार, इन सभी ने मिलकर कस्टम मिलिंग दरें जानबूझकर बढ़वाईं। इसके बाद मिलर्स से धान उठाव की मात्रा के आधार पर प्रति क्विंटल 20 रुपए की अवैध वसूली की गई। रोशन चंद्राकर ने कांकेर के दुधावा जलाशय में राइस मिलर्स की मीटिंग में इसके निर्देश दिए थे।

EOW की जांच में सामने आया कि ED के छापे के बाद भी सिंडिकेट के लिए उगाही जारी रही। वर्ष 2023 में सिद्धार्थ सिंघानिया ने राइस मिलरों से करीब 20-22 करोड़ रुपए की वसूली की, जो अनवर ढेबर के जरिए IAS टुटेजा तक पहुंचाई गई। ढेबर को इस उगाही पर कमीशन भी दिया गया।

चार्जशीट में बताया गया कि वर्ष 2021-22 में टुटेजा ने 104 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का अनुमान पेश किया और मिलर्स को प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की योजना बनाई, जिससे अवैध वसूली आसान हो सके। जिन्होंने इसका विरोध किया, उनके मिलों पर छापेमारी की गई। EOW ने दावा किया है कि इस पूरे घोटाले में 140 करोड़ रुपए से ज्यादा की अवैध कमाई हुई, जिसमें कुछ हिस्सा राजनीतिक फंड में भी गया।

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