टूटे हुए हड्डी को भी नहीं जुड़वा सका था एक मजबूर पिता, आर्थिक तंगी के चलते बिना इलाज करवाए लौटा, समाजसेवी के मदद के बाद इलाज के लिए फिर हुआ रवाना

रवि तिवारी@देवभोग। आर्थिक रूप से कमजोर एक पिता इतना मजबूर हो गया कि वह पैसों की कमी के चलते चाहकर भी अपने बच्चे का इलाज करवा ना सका.. उसे धर्मगढ़ में ही पता चल गया कि उसके दो साल के मासूम बच्चे के दाहिने हाथ के कोहनी का हड्डी टूट गया है.. और उसे प्लास्टर कर उसे जोड़ना पड़ेगा.. निजी क्लिनिक में लगभग 20 से 25 हजार रूपये इलाज में खर्च होने की बात सुनने के बाद मानो पिता के पैरों तले जमीन खिसक गई.. और पैसा नहीं होने के चलते वह मजबूरीवश बच्चे को लेकर उल्टे पॉव अपने गॉव चिंगराभाठा लौट आया.. मजबूर पिता ने सोच लिया था कि पैसे के अभाव में अब वह स्थानीय स्तर पर ही अपने बच्चे का उपचार करवाकर यहां उसे राहत देने की कोशिश करेगा..

समाजसेवी गौरी ने किया मदद-: समाजसेवी गौरीशंकर कश्यप ने बताया कि गुरुवार को देर शाम रघुनाथ मरकाम अपने दो साल के बेटे दिव्यांश मरकाम को इलाज के लिए देवभोग अस्पताल लेकर पहुंचा था… इस दौरान अस्पताल से रघुनाथ को जानकारी मिला कि एक्स रे मशीन चलाने के लिए यहां टेक्निशियन नहीं है.. वहीं हड्डी रोग विशेषज्ञ भी नहीं होने की बात कही गई.. वहीं अस्पताल से जानकारी मिलने के बाद रघुनाथ मायूस हो गया.. उसके पास मात्र 500 रूपये थे.. वहीं इलाज करवाने के लिए पैसे भी नहीं थे.. ऐसे में अचानक रघुनाथ की मुलाक़ात गौरी से हुई.. गौरीशंकर ने धर्मगढ़(ओड़िसा) जाने के लिए वाहन की व्यवस्था कर रघुनाथ के हाथ में दो हजार रूपये दिए.. इसके बाद रघुनाथ अपने बच्चे को लेकर इलाज के लिए धर्मगढ़ रवाना हुआ.. वहीं इलाज में ज्यादा खर्च आने की बात सुनकर रघुनाथ गुरुवार देर रात बच्चे को लेकर घर लौट आया था.. वहीं शुक्रवार सुबह ज़ब गौरीशंकर ने फिर रघुनाथ से सम्पर्क साधा और इलाज को लेकर जानकारी लिया.. तो रघुनाथ ने रुँधे गले से पूरी जानकारी दी.. गौरीशंकर ने बिना देर किये तत्काल किराये का वाहन किया और रघुनाथ और उसके मासूम बच्चे को इलाज के लिए धर्मगढ़ लेकर रवाना हुआ… गौरीशंकर ने बताया कि जनहित के कार्यों के लिए हमने एक ग्रुप बनाया है.. उसमें जानकारी साझा करने पर देवभोग के सुभाष दौरा ने 2 हजार, पंडित युवराज पाण्डेय जी ने 2100, विक्की गोयल ने एक हजार, सुभाष मित्तल ने 500 रूपये, सुरेश वैष्णव ने 500 रूपये और रवि तिवारी ने 500 रूपये का सहयोग मासूम बच्चे के इलाज के लिए दिया है…गौरीशंकर ने कहा कि मैंने इस बच्चे के इलाज का बीड़ा उठाया है.. इसके स्वस्थ होते तक जितना भी खर्च आएगा.. मैं करने को तैयार हूँ… वहीं रघुनाथ मरकाम ने कहा कि मुर्गा दुकान में काम कर परिवार चलाता हूँ.. अभी पत्नी भी गर्भवती है.. उसका भी इलाज करवा रहा था.. वहीं पैसों की कमी के चलते इलाज करवाने में असक्षम था… समाजसेवी ने जिस तरह मदद का हाथ बढ़ाया, इसके लिए सदा उनका आभारी रहूंगा…

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