दिल्ली। इंडिगो संकट लगातार गहराता जा रहा है और अब इसकी आंच DGCA तक पहुंच गई है। नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने साफ कहा कि यह सामान्य गलती नहीं, बल्कि जानबूझकर की गई लापरवाही के संकेत हैं।
उन्होंने माना कि यात्रियों को भारी परेशानी उठानी पड़ी है, जिसके लिए वे माफी चाहते हैं। मंत्री ने स्पष्ट किया कि इंडिगो ही नहीं, बल्कि DGCA के कामकाज की भी जांच होगी। जरूरत पड़ी तो CEO को भी हटाया जा सकता है।
इंडिगो पर आरोप है कि उसने 403 विमान बताकर 6% ज्यादा विंटर शेड्यूल लिया, जबकि उसके पास उड़ान भरने के लिए पर्याप्त विमान ही नहीं थे। अक्टूबर और नवंबर में कंपनी औसतन सिर्फ 340 विमान ही उड़ा सकी। इससे सिस्टम पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा और हजारों उड़ानें रद्द करनी पड़ीं।
सरकार ने तत्काल प्रभाव से इंडिगो की 10% उड़ानें घटाने का आदेश दिया है। यानी रोजाना चलने वाली 2300 में से करीब 230 फ्लाइट कम होंगी। DGCA ने नए शेड्यूल की सूची मांगी है। पिछले 8 दिनों में 5,000 से ज्यादा फ्लाइटें कैंसिल हो चुकी हैं। इसी मामले में आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।
उधर, पायलटों की कमी और थकान पर भी सवाल उठ रहे हैं। पायलट संगठनों ने संसद की स्थायी समिति के सामने यह मुद्दा रखा है कि कई एयरलाइंस नए FDTL नियमों का पालन नहीं कर रहीं, जिससे सुरक्षा जोखिम बढ़ रहा है।
केंद्र ने 10 बड़े एयरपोर्ट्स पर IAS स्तर के अधिकारियों को तैनात किया है। 15 दिनों में ऑपरेशनल संकट की विस्तृत रिपोर्ट मिलेगी। वहीं इंडिगो ने कहा है कि नेटवर्क सामान्य हो चुका है और 15 दिसंबर तक रिफंड प्रक्रिया पूरी कर दी जाएगी।
संकट ने साफ कर दिया है कि एविएशन सेक्टर में स्टाफिंग, नियमन और क्षमता प्रबंधन में बड़ी खामियां हैं, जिन पर अब कड़ी कार्रवाई तय है।
