नई दिल्ली। सीबीआई ने रिश्वतखोरी के आरोप में ईस्ट-कोस्ट रेलवे में वाल्टेयर डिवीजन, विशाखापटनम के एक डीआरएम समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें दो मुंबई और पुणे वाली कंपनियों के मालिक हैं। जिनके उपर रेलवे ने 3 करोड़ 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। पेनल्टी की इसी रकम को कम करने के लिए डीआरएम और इनके बीच कथित रूप से 25 लाख रुपये की डील हुई थी। जिसके लेन-देन के वक्त सीबीआई ने इन्हें पकड़ लिया।
सीबीआई ने बताया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में वाल्टेयर डिवीजन, विशाखापटनम में तैनात रेलवे के डीआरएम 1991 बैच के IRSME सौरभ प्रसाद, मुंबई आधारित प्राइवेट कंपनी के प्रोपराइटर सनील राठौड़ और पुणे आधारित दूसरी प्राइवेट कंपनी के आनंद भगत शामिल हैं। सीबीआई ने बताया कि आरोपी के ठिकानों पर छापेमारी भी की गई। जहां से 87 लाख रुपये से अधिक नकद, 72 लाख रुपये की नकदी और अन्य चीजें बरामद की गई।
डीआरएम से लेनदेन की सेटिंग
सीबीआई ने बताया कि इन दोनों कंपनियों पर कांट्रेक्ट की शर्तों खरे ना उतरने के लिए रेलवे की तरफ से तीन करोड़ 17 लाख रुपये की पेनल्टी लगाई गई थी। जुर्माने की इसी रकम को कम करने के लिए कथित रूप से दोनों कंपनियों के यह ऑनर डीआरएम से लेनदेन की सेटिंग कर रहे थे। मामला 25 लाख रुपये में तय हुआ था।
सीबीआई ने बिछाया जाल
कथित रूप से रिश्वत की इस रकम के लेनदेन के लिए आरोपी डीआरएम विशाखापटनम से मुंबई पहुंचे थे। जहां पहले से ही जाल बिछाए सीबीआई ने इन्हें पकड़ लिया। इनके अलावा कंपनियों के दोनों आरोपियों को भी सीबीआई की टीम ने दबोच लिया। मामले में और तफ्तीश की जा रही है कि कहीं रिश्वतखोरी के इस मामले में रेलवे का कोई और अफसर भी तो शामिल नहीं।