दिल्ली। देर रात तक जागना, हाई कैलोरी व प्रोसेस्ड फूड का बढ़ता सेवन, और व्यायाम की कमी युवाओं में मोटापा, हाइपरटेंशन, डायबिटीज, हार्ट व स्ट्रोक जैसी बीमारियों को बढ़ा रहा है।
ICMR की रिपोर्ट से इस बात का खुलासा हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि कामकाजी जीवनशैली, लंबे समय तक स्क्रीन टाइम और असंतुलित दिनचर्या इसका मुख्य कारण हैं। पहले मोटापा उच्च आय वर्ग तक सीमित था, लेकिन अब यह हर वर्ग में फैल रहा है।
एम्स के प्रो. डॉ. कपिल यादव के अनुसार स्क्रीन टाइम कम करना, कार्यस्थल व यात्रा के दौरान शारीरिक सक्रियता अपनाना जरूरी है। मेट्रो या ऑफिस में सीढ़ियां चढ़ना, पैदल चलना जैसे छोटे कदम भी मददगार हो सकते हैं। प्रोसेस्ड व अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड से बचना जरूरी है, क्योंकि यह मोटापा और उससे जुड़ी बीमारियों का बड़ा कारण है। कम उम्र में मोटापा होने पर 40-50 की उम्र में हार्ट अटैक, किडनी रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
शहरी क्षेत्रों में हाइपरटेंशन आम हो चुका
घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में हाइपरटेंशन आम हो चुका है, और स्ट्रोक जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज कठिन है। पार्क और व्यायाम स्थलों की कमी, अस्वस्थ खानपान और खराब जीवनशैली इस खतरे को और बढ़ा रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि 10 मिनट चलना व्यायाम नहीं, बल्कि दैनिक आदत होनी चाहिए।
स्वस्थ जीवनशैली की शुरुआत बचपन से होना चाहिए
स्वस्थ जीवनशैली की शुरुआत बचपन से होनी चाहिए। स्कूल स्तर पर पैकेट वाले अस्वस्थ खाद्य पदार्थों पर नियंत्रण और लेबलिंग जरूरी है। सिगरेट की तरह चिप्स-कोल्ड ड्रिंक पर चेतावनी होनी चाहिए। स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सालाना स्वास्थ्य जांच, बीएमआई मॉनिटरिंग, घर का बना भोजन, और बच्चों को पौष्टिक नाश्ता देना जरूरी है। रसोई संस्कृति को पुनः अपनाकर ही युवाओं में बढ़ते हार्ट अटैक और जीवनशैली संबंधी बीमारियों को रोका जा सकता है।