मुआवजे की गुहार, मगर हासिल हुई मायूसी और नाकामयाबी

बिपत सारथी@पेंड्रा. मरवाही में आदिवासी किसानों ने सिंचाई विभाग के अमीन पटवारी पर जमीन के मुआवजे के बदले रिश्वत मांगने का आरोप लगाते हुये लगातार शिकायत कर रहे हैं तो वहीं सक्षम जिम्मेदार अधिकारी बेखबर बने हुये हैं। छत्तीसगढ़ के मुखिया भूपेश बघेल किसानों के हितों की सुरक्षा संवर्धन करने के लिए भले संकल्पित हो, पर जमीनी हकीकत देखें तो आज भी सभी दावे की खुली पोल नजर आती है।

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ताजा नजारा छत्तीसगढ़ की चर्चित और ऐतिहासिक विधानसभा सीट कहे जाने वाले मरवाही के दूरस्थ आदिवासी अंचल ग्राम पंचायत पथर्री की है। जहां के गरीब आदिवासी किसानों के खेत खलियान नहर के पानी में डूब जाने के कारण किसानों के परिवार अब दाने-दाने को मोहताज है तो वहीं गरीब किसान अपने खेत की मुआवजा के लिए ऑफिसों के चक्कर लगाने को मजबूर है।

गांव से नहर गुजरने से किसानों की जमीन भी नहर क्षेत्र में आयी और मुआवजा दिये बगैर काम कराया गया। लिहाजा किसानों ने अपने खेत खलियान के पानी में डूब जाने की मुआवजा के लिए लगातार सिंचाई विभाग के सक्षम जिम्मेदार अनुविभाग अधिकारी जल संसाधन उपसंभाग मरवाही से गुहार लगा चुके हैं पर किसानों को मायूसी और नाकामयाबी के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हुआ है।

वहीं किसानों ने सिंचाई विभाग के अमीन पटवारी पर मुआवजा बनाने और फाइल खिसकाने के लिए 5000 रूपए मांगने का आरोप लगाया है। किसान अपने खेत के मुआवजे के लिए जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं…..

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