BREAKING: भारतमाला परियोजना में मुआवजा घोटाला, आयुक्त निलंबित; अवर सचिव ने जारी किया निर्देश

रायपुर। छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में बड़ा घोटाला सामने आने के बाद राज्य शासन ने कार्रवाई की है। राज्य शासन के निर्देश पर अवर सचिव ने मुआवजा घोटाले में राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर निर्भय कुमार साहू काे निलंबित कर दिया है। राज्य शासन की जांच में खुलासा हुआ है कि ₹35 करोड़ के मुआवजे की पात्रता के बावजूद ₹248 करोड़ का मुआवजा बांट दिया गया, जिससे सरकार को ₹213 करोड़ का नुकसान हुआ।
घोटाले का पर्दाफाश तब हुआ जब ₹78 करोड़ के अतिरिक्त दावे किए गए। इस पर NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के अधिकारियों को शक हुआ और मामले की जानकारी उच्च अधिकारियों तक पहुंचाई गई। रायपुर कलेक्टर को जांच के आदेश दिए गए। जांच में यह पाया गया कि रायपुर और धमतरी के व्यापारियों ने सरकार की योजना की जानकारी पहले ही प्राप्त कर ली थी और अधिकारियों के साथ मिलकर जमीन खरीदकर घोटाला किया।
अधिकारियों की मिलीभगत
इस घोटाले में तत्कालीन एसडीएम सूरज साहू, निर्भय साहू और तहसीलदार शशिकांत कुर्रे पर गंभीर आरोप लगे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इन अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर करोड़ों का मुआवजा बांट दिया। हालांकि, पूर्व एसडीएम निर्भय साहू ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उनका इस घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है, क्योंकि वे अक्टूबर 2020 में पदस्थ हुए थे, जबकि यह अनियमितताएँ पहले ही हो चुकी थीं।
विधानसभा में मामला उठाया
नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इस मामले को विधानसभा में उठाया और सरकार से सवाल किया कि 32 प्लॉट के 142 फ्लैट आखिर किसके हैं? इस पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे सके। महंत ने आरोप लगाया कि जांच रिपोर्ट मिलने के बावजूद इस मामले को दबाया जा रहा है। विधानसभा अध्यक्ष ने मंत्री को निर्देश दिया कि महंत को इस मामले की पूरी जानकारी उपलब्ध कराई जाए।
केवल एक अफसर पर कार्रवाई
रायपुर विशाखापट्नम प्रस्तावित इकॉनामिक कॉरिडोर में हुए मुआवजा घोटाले में चार अफसरों का नाम सामने आया था। लेकिन अवर सचिव ने अब तक केवल आईएएस निर्भय कुमार साहू पर एक्शन लिया है। उक्त घोटाले में शामिल अन्य आरोपी अभी कार्रवाई होना शेष है।
