दिल्ली। जातीय हिंसा से जूझ रहे मणिपुर में नई सरकार बनाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। भाजपा के 27 विधायकों ने 30 मई को एक अहम बैठक की, जिसमें नई सरकार के गठन पर सहमति बनी। इस बैठक से पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और विधानसभा के पूर्व स्पीकर सत्यव्रत सिंह को जानबूझकर बाहर रखा गया। बैठक में वे विधायक भी शामिल हुए जिन्होंने फरवरी में बीरेन सिंह का समर्थन किया था।
भाजपा विधायकों ने बैठक के बाद बयान जारी कर कहा कि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को दरकिनार कर सरकार गठन की दिशा में काम किया जाएगा। मणिपुर विधानसभा में कुल 60 सीटें हैं, जिनमें से 59 पर विधायक हैं। भाजपा के पास 37 विधायक हैं, जिनमें से सात कुकी-जो समुदाय से हैं। ये सात विधायक बैठक से दूर रहे।
28 मई को एनडीए के 10 विधायकों ने इंफाल स्थित राजभवन में राज्यपाल अजय भल्ला से मुलाकात की थी। बैठक के बाद भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम ने दावा किया कि कांग्रेस को छोड़कर 44 विधायक नई सरकार के समर्थन में हैं। इन विधायकों में 8 भाजपा, और NPP व एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं।
राज्य में राष्ट्रपति शासन 13 फरवरी से लागू है। बहुमत के लिए 31 विधायकों की जरूरत होती है, जबकि एनडीए के पास 44 विधायकों का समर्थन है। इनमें 32 मैतेई, तीन मणिपुरी मुस्लिम और नौ नगा विधायक हैं। कांग्रेस के पास 5 विधायक हैं और 10 कुकी विधायक अब तक सरकार गठन प्रक्रिया से दूर हैं। संभावना है कि 15 जून तक नई सरकार का गठन हो जाएगा।