खाद्य कानून में बड़ा बदलाव: अब मिलावट पर जेल नहीं, सिर्फ जुर्माना; मिलावटी उत्पाद भी वैध

रायपुर। केंद्रीय खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने हाल ही में खाद्य सुरक्षा कानूनों में ऐसे संशोधन किए हैं, जिनसे खाने-पीने की चीजों में मिलावट करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का रास्ता बंद हो गया है। अब अगर कोई व्यक्ति प्रमाणित रूप से मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचता है, तो उसे जेल नहीं बल्कि सिर्फ जुर्माना भरकर छोड़ा जाएगा।

पहले दाल, पनीर, खोवा, दूध और आइसक्रीम जैसी चीजों में मिलावट करने पर सजा के साथ जेल का प्रावधान था, लेकिन अब वेजिटेबल ऑयल और अन्य सिंथेटिक पदार्थों से बनी वस्तुओं को कानूनी मान्यता मिल गई है। शुद्ध पनीर की परिभाषा में बदलाव कर वेजिटेबल ऑयल, सोया प्रोटीन और मिल्क पाउडर से बने पनीर को भी मान्यता दे दी गई है। इसी तरह वनस्पति तेल से बनी आइसक्रीम जैसी वस्तुओं को ‘फ्रोजन डेजर्ट’ नाम देकर बेचना वैध कर दिया गया है। खाद्य सुरक्षा अधिनियम की धारा 63, जिसमें बिना लाइसेंस खाद्य सामग्री बेचने पर 6 माह की जेल का प्रावधान था, उसे भी हटा दिया गया है। अब केवल 10 लाख तक का जुर्माना लगेगा।

33 जिलों में सिर्फ 61 खाद्य निरीक्षक

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे संशोधन उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं। आर्टिफिशियल पनीर और फ्रोजन डेजर्ट जैसे उत्पाद सीधे शरीर में तेल पहुंचाते हैं, जिससे हार्ट और लिवर पर बुरा असर पड़ता है। वहीं, प्रदेश में मिलावट पर नजर रखने के लिए भी पर्याप्त अमला नहीं है। 33 जिलों में सिर्फ 61 खाद्य निरीक्षक हैं। यह बदलाव न केवल मिलावटखोरों को राहत देता है, बल्कि आम जनता की सेहत के लिए भी गंभीर खतरा बन सकता है।

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