नक्सल संगठन को बड़ा झटका: बीजापुर में 24 नक्सलियों ने किया सरेंडर, 87.5 लाख का था इनाम

बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सल मोर्चे पर एक बड़ी सफलता सामने आई है। अबूझमाड़ में 21 मई को हुई ऐतिहासिक मुठभेड़ में कुख्यात माओवादी बशव राजू समेत 27 नक्सलियों के मारे जाने के महज दो दिन बाद, नक्सल संगठन को एक और गहरा झटका लगा है। शुक्रवार को जिले के विभिन्न एरिया कमेटियों में सक्रिय 24 हार्डकोर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इन पर कुल 87.5 लाख का इनाम घोषित था।

बीजापुर पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र यादव ने बताया कि ये सभी नक्सली अचानक जिला मुख्यालय पहुंचे और सरेंडर की इच्छा जताई। तत्पश्चात, पुलिस द्वारा इनका सार्वजनिक रूप से मीडिया के समक्ष आत्मसमर्पण कराया गया। इस सरेंडर को नक्सल विरोधी अभियान की एक बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।

इन आत्मसमर्पित नक्सलियों में कई वरिष्ठ पदाधिकारी शामिल हैं। सबसे प्रमुख नाम है हनुमंत राव ऊर्फ राकेश, जो कंपनी नंबर 2 का कमांडर था और बस्तर में अनेक नक्सली घटनाओं में शामिल रहा है। उस पर 10 लाख का इनाम था। इसी तरह, उसकी पत्नी मंगली कोरसा पर ₹8 लाख का इनाम था, जो कंपनी नंबर 2 की पीपीसीएम सदस्य थी। संपत पूनेम, लक्ष्मी पूनेम, राजू फरसा, दशरू कुंजाम, मुका माड़वी, अर्जुन माड़वी और तुलसी कोरसा जैसे नाम शामिल हैं, जिन पर भी 5 लाख से 8 लाख तक के इनाम घोषित थे। ये सभी वर्ष 1997 से लेकर 2017 तक नक्सल गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं और PLGA की बटालियन और विभिन्न एरिया कमेटियों के सदस्य या कमांडर रहे हैं।

पुलिस के अनुसार, इन नक्सलियों ने संगठन की विचारधारा से मोहभंग, बढ़ते दबाव और विकास की मुख्यधारा से जुड़ने की चाह में सरेंडर का रास्ता चुना। आत्मसमर्पण कार्यक्रम के दौरान पुलिस अधीक्षक ने कहा कि यह घटनाक्रम नक्सलियों के मनोबल पर बड़ा प्रहार है और यह इस बात का संकेत है कि अब माओवाद अपनी जड़ें खोता जा रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले सभी नक्सलियों को छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास नीति के तहत सुविधाएं दी जाएंगी, जिसमें सुरक्षा, प्रशिक्षण और पुनर्वास शामिल है। इस मौके पर पुलिस ने सरेंडर करने वालों को गुलाब के फूल भेंट किए और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया। अधिकारी वर्ग ने इसे नक्सलवाद के खिलाफ चल रहे व्यापक अभियान में एक निर्णायक मोड़ करार दिया।

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