ED मामलों पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे भूपेश बघेल, एक याचिका वापस ली, दूसरी पर सुनवाई 6 अगस्त को

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के मामलों और मनी लॉन्ड्रिंग कानून (PMLA) की कुछ धाराओं को असंवैधानिक बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं लगाई थीं। शुक्रवार को याचिका नंबर 303 पर कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसके बाद वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने यह याचिका वापस ले ली। सुप्रीम कोर्ट ने इसे दो शर्तों के साथ मंजूरी दी।

अब दूसरी याचिका नंबर 301 पर 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। बघेल ने खासतौर पर PMLA की धारा 45 को चुनौती दी थी। कोर्ट ने सवाल उठाया कि ऐसे मामले सिर्फ प्रभावशाली लोगों के लिए क्यों आते हैं, आम आदमी के लिए क्या रास्ता है?

कोर्ट में सिंघवी ने दलील दी कि मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना बार-बार चार्जशीट दायर की जा रही है, जिससे डिफॉल्ट बेल का हक खत्म हो रहा है। कोर्ट ने जवाब दिया कि ये बातें विशेष अदालत में भी उठाई जा सकती हैं। अगर संवैधानिक चुनौती देनी है तो नई याचिका लगाएं।

कोर्ट ने याचिका वापस लेने की इजाजत देते हुए दो स्वतंत्रताएं दीं – पहली, धारा 50 और 63 को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका लगाने की छूट और दूसरी, अन्य मुद्दों को हाईकोर्ट में उठाने की अनुमति।

सुनवाई में कपिल सिब्बल और मुकुल रोहतगी ने भी ईडी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। सिब्बल ने कहा कि ईडी मनमर्जी से चार्जशीट दाखिल कर रहा है और कोई भी कभी भी आरोपी बन सकता है। कोर्ट ने जवाब दिया कि यह दुरुपयोग का मामला है, इसके लिए हाईकोर्ट में चुनौती दें। मुकुल रोहतगी को भी हाईकोर्ट जाने की सलाह दी गई।

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