बांग्लादेश के छात्रों का आंदोलन हिंसक, 39 की मौत, 2500 से ज्यादा जख्मी

नई दिल्ली। बांग्लादेश के छात्रों का आंदोलन हिंसक हो गया है. प्रदर्शनकारी नौकरी में आरक्षण खत्म करने की मांग कर रहे हैं. इस हमले में 39 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी है. 2500 से ज्यादा प्रदर्शनकारी जख्मी हैं. वहीं बसों और निजी वाहनों को आग के हवाले कर रहे हैं.आंदोलनकारियों को रोकने के लिए दंगा रोधी पुलिस रबर की गोलियां और आंसू गैस के गोले दाग रही है, ढाका और देश के बाकी हिस्सों के बीच बस सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं. इस बीच बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में सरकारी नेशनल टेलीविजन पर आकर देश को संबोधित किया था. उन्होंने शांति बनाए रखने की अपील की थी. वहीं भारतीय उच्चायोग ने बांग्लादेश में रहने वाले भारतीयों के लिए एडवायजरी जारी की है. इसमें कहा गया है किबांग्लादेश के ताजा हालातों को देखते हुए, भारतीय समुदाय के सदस्यों और बांग्लादेश में रहने वाले भारतीय छात्रों को यात्रा से बचने की सलाह दी जाती है. जब तक जरूरी ना हो, तब तक वह अपने घर के अंदर ही रहें. सहायता के लिए उच्चायोग ने 24 घंटे की सेवा वाले कुछ आपातकालीन संपर्क नंबर भी जारी कर दिए हैं.

बांग्लादेश में इस समय बस-ट्रेन और मेट्रो सेवा ठप हो गई है. हिंसा को बढ़ने से रोकने के लिए सरकार ने मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया है. स्कूल, कॉलेज के साथ-साथ मदरसों को भी अनिश्चितकाल तक के लिए बंद कर दिया गया है. पूरे देश में सेना को मोर्चे पर उतार दिया गया है.

30 प्रतिशत कोटे के खिलाफ आंदोलन

मौजूदा आरक्षण प्रणाली के तहत 56 प्रतिशत सरकारी नौकरियां आरक्षित हैं. इनमें से 30 प्रतिशत 1971 के मुक्ति संग्राम के स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए, 10 प्रतिशत पिछड़े प्रशासनिक जिलों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए, पांच प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए और एक प्रतिशत विकलांग लोगों के लिए आरक्षित हैं. आंदोलन स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को मिलने वाले 30 फीसदी आरक्षण के खिलाफ चलाया जा रहा है. बता दें कि बांग्लादेश में हर साल करीब 3 हजार सरकारी नौकरियां ही निकलती हैं, जिनके लिए करीब 4 लाख कैंडिडेट अप्लाई करते हैं.

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