बाबा सिद्दीकी हत्याकांड: एक और आरोपी गिरफ्तार, मुख्य शूटर अभी भी फरार, अब तक 11 पकड़े गए

नई दिल्ली। मुंबई पुलिस ने बुधवार को एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के मामले में एक और आरोपी अमित हिसामसिंह कुमार को गिरफ्तार किया है। 29 वर्षीय अमित कुमार हरियाणा के कैथल जिले के नथवान पत्ती का निवासी है। इस गिरफ्तारी के साथ ही मामले में अब तक कुल 11 आरोपियों को हिरासत में लिया जा चुका है। रविवार को पुलिस ने इस मामले में एक स्क्रैप डीलर भगवत सिंह ओम सिंह को नवी मुंबई से गिरफ्तार किया था। ओम सिंह राजस्थान के उदयपुर का निवासी है और उस पर आरोप है कि उसने उन लोगों को हथियार मुहैया कराया था, जिन्होंने 12 अक्टूबर को एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या की थी।

बाबा सिद्दीकी की हत्या तीन हमलावरों ने उनके बेटे जीशान सिद्दीकी के कार्यालय के बाहर कर दी थी। पुलिस ने अब तक दो शूटरों – गुरमेल बलजीत सिंह (23) और धर्मराज राजेश कश्यप (19) – को गिरफ्तार कर लिया है। मुख्य शूटर शिवकुमार गौतम और हत्या साजिश में शामिल दो अन्य लोग अभी भी फरार हैं। पुलिस इस हत्या मामले की जांच में जुटी है और फरार आरोपियों की तलाश जारी है।

बाबा सिद्दीकी की हत्या में शामिल तीन हमलावरों ने हत्या को अंजाम देने से पहले रायगढ़ जिले में एक झरने के पास गोलीबारी का अभ्यास किया था। पुलिस अधिकारियों ने मंगलवार को अपनी जांच का हवाला देते हुए यह जानकारी दी। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि 12 अक्टूबर की हत्या की जांच कर रही शहर पुलिस की अपराध शाखा ने कहा कि गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में पता चला है कि गिरफ्तार हमलावर धर्मराज कश्यप, गुरमेल सिंह और फरार चल रहे शिवकुमार गौतम ने सितंबर में मुंबई के बाहरी इलाके करजत तहसील के अंतर्गत पलासधारी में एक झरने के पास गोलीबारी का अभ्यास किया था। उन्होंने बताया कि निशानेबाजों ने झरने के पास सुनसान जगह देखकर गोलीबारी का अभ्यास किया।

उन्होंने बताया कि नितिन सप्रे और राम कनौजिया के नेतृत्व में ठाणे स्थित पांच सदस्यीय सुपारी गिरोह को शुरू में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री सिद्दीकी (66) की हत्या का जिम्मा सौंपा गया था। अधिकारी के अनुसार, अपराध में प्रयुक्त पिस्तौल कनौजिया और एक अन्य आरोपी भगवत सिंह ओम सिंह राजस्थान से लाए थे। उन्होंने बताया कि अपराध को अंजाम देने के लिए 50 लाख रुपये की मांग पर असहमति और दिवंगत राजनेता के प्रभाव को देखते हुए यह गिरोह अनुबंध से पीछे हट गया, लेकिन हमले को अंजाम देने के लिए साजोसामान और अन्य सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया।

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