बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग में खराब सड़कों की स्थिति अब राजनीतिक और प्रशासनिक संकट बनती जा रही है। शुक्रवार को इसका बड़ा असर तब दिखा जब केंद्रीय आवासन व शहरी विकास राज्य मंत्री तोखन साहू को युवाओं ने मनियारी पुल के पास रास्ता रोककर आगे जाने से रोक दिया। मंत्री को अंततः लौटना पड़ा।
तोखन साहू मुंगेली के रहने वाले हैं और लगातार सड़क मार्ग से सफर करते हैं। वहीं डिप्टी सीएम और पीडब्ल्यूडी मंत्री अरुण साव लोरमी से विधायक हैं। ऐसे में क्षेत्र की सड़कें बेहतर होने की उम्मीद थी, लेकिन अब तक मरम्मत के कोई पुख्ता प्रयास नहीं हुए हैं। बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए हैं। बिलासपुर शहर की सड़कों से लेकर रायपुर-बिलासपुर हाइवे तक गड्ढों से भरे पड़े हैं। हाईकोर्ट ने भी हाल ही में इस मुद्दे पर पीडब्ल्यूडी और नगर निगम से जवाब मांगा है।
हाईकोर्ट ने पीडब्ल्यूडी-नगर निगम से मांगा है जवाब
हाईकोर्ट ने 23 जुलाई को अगली सुनवाई तय करते हुए पूछा है कि आखिर इन सड़कों की मरम्मत कब तक पूरी होगी और कौन जिम्मेदार होगा। अदालत ने जवाबदेही तय करने के संकेत भी दिए हैं। मंत्री के काफिले को रोके जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया है। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों से जवाब मांगा गया है और सड़कों की मरम्मत व नवीनीकरण के प्रस्तावों की जानकारी तलब की गई है।
हालांकि केंद्र सरकार ने कुछ जिलों की आठ राज्य सड़कों के विकास के लिए 892 करोड़ की स्वीकृति दी है, लेकिन जिस मार्ग पर मंत्री को रोका गया, वह योजना में शामिल नहीं है और रूटीन बजट से ही उसका रखरखाव हो रहा है। इसको लेकर भाजपा के अंदर भी नाराजगी है, वहीं कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी शुरू कर दी है।