Ambikapur: पुलिसकर्मी और अन्य ने मिलकर नाबालिग के साथ किया दुष्कर्म, अब परिजनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाया आरोप- 50 हजार लेकर मामला रफा-दफा करने का बना रहे दबाव

शिव शंकर साहनी@अंबिकापुर। लखनपुर थाना अंतर्गत कुन्नी पुलिस चौकी में पदस्थ एक पुलिसकर्मी समेत दो आरोपी घर में रात को 10 बजे अवैध रूप से घुसकर आठवीं कक्षा की बच्ची को अपनी हवस का शिकार बनाने का प्रयास किया। बच्ची के चिल्लाने पर जब पीड़िता की बड़ी बहन ने उसे बचाया एवं हल्ला गुल्ला की तो भागते समय उक्त पुलिसकर्मी एवं उसके साथ के आरोपियों ने उन्हें जान से मारने की धमकी दिया और भविष्य खराब करने की बात कही। आरोपीगण पीड़िता की बड़ी बहन के साथ हाथापाई करते हुए फरार हो गए.

घटना के तुंरत बाद पीड़िता बच्ची की बड़ी बहन रात को ही अपने छोटे-छोटे भाई बहनों को लेकर कुन्नी पुलिस चौकी जाती है। घटना की रिपोर्ट दर्ज कराती है। पीड़ित पक्ष ने बताया कि 21 जनवरी 2022 को शाम 6 बजे ही उक्त आरोपी पुलिसकर्मी उनके घर आकर पूछताछ किया। जब यह बात आस पड़ोस में सभी को मालूम थी की पीड़िता के मम्मी-पापा घर पर नहीं है। पड़ोस के किसी दूसरे गांव गए हुए हैं। तब मौके का फायदा उठाकर उक्त पुलिसकर्मी अपने दो साथियों के साथ बकायदा वर्दी में, घर में अधूरे बने हुए निर्माणाधीन दीवार को फांदकर घर में अवैध रूप से प्रवेश कर जाता है। फिर 12 वर्षीय बच्ची के साथ सामुहिक बलात्कार करने का प्रयास करता है, पूरी घटना की जानकारी होते हुए भी पुलिस चौकी द्वारा उन्हें सुबह आने को कहा गया एवं अगले दिन सुबह आरोपी पुलिसकर्मी द्वारा स्वयं पीड़िता के पिता को 100 रुपए देकर रवाना कर दिया जाता है और एफआईआर दर्ज नहीं किया जाता है.

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जब 26 जनवरी 2022 को एक स्थानीय न्यूज पोर्टल के सोशल मीडिया पेज पर मामला उठाया गया तब जाकर पुलिस एफआईआर दर्ज कर IPC 457,354, 323 तथा POCSO की धारा 7 एवं 8 दर्ज कर 3 आरोपियों में से दो को गिरफ्तार कर जेल भेजती है

मामले की गंभीरता को देखते हुए पत्रकारों एवं पीड़िता के समाज वालों के साथ जब सामाजिक कार्यकर्ता एवं असिस्टेंट प्रोफेसर अकिल अहमद ने घटना स्थल एवं एफआईआर की जांच की तो पुलिस पर आरोप लगाया कि एफआईआर में न्यूनतम धाराएं जोड़ी गयी हैं तथा आरोपी पुलिसकर्मी का केवल प्रथम नाम ही एफआईआर में दर्ज किया गया ना तो आरोपी पुलिसकर्मी के पिता का नाम दर्ज है। न ही उसका आरक्षक क्रमांक ही दर्ज है,

उक्त बातों की लिखित शिकायत लेकर जब एक्टिविस्ट अकिल अहमद, निषाद समाज के महामंत्री सुजान बिंद, राष्ट्रीय महान गणतंत्र पार्टी के जिला अध्यक्ष सुरेश बुनकर, पत्रकार  कुमार जितेंद्र  एवं अन्य पत्रकार साथी जब 2 फरवरी 2022 को पुलिस अधीक्षक सरगुजा से मिले तो अकिल अहमद ने बताया कि पुलिस अधीक्षक का रवैय्या ना केवल निराशाजनक था बल्कि उनका व्यवहार पीड़िता  बच्ची एवं उसके परिजनों के साथ असंवेदनशील था,

इन्ही सब बातों से क्षुब्ध होकर आज पीड़िता के परिजनों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर बताया कि उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही है, पुलिस वाले 50 हजार लेकर मामले को रफा-दफा करने का उन पर दबाव बना रहे हैं। पीड़िता के परिजनों के आग्रह पर एक्टिविस्ट अकील अहमद ने प्रेस को ब्रीफ करते हुए बताया कि चूंकि अपराध में सशस्त्र बल का सदस्य अपने तैनाती क्षेत्र में एक अन्य लोक सेवक शिक्षक तथा अन्य के साथ मिलकर 12 वर्षीय बच्ची के साथ अवैध रूप से घर में घुसकर सामूहिक बलात्कार का प्रयास किया है अतः पुलिस को IPC की धारा 511 एवं POCSO की धारा 9 & 18 भी दर्ज करना चाहिए एवं घटना की जानकारी मिलने पर एफआईआर दर्ज करने में असफल रहने वाले पुलिसकर्मियों के विरुद्ध भी POCSO का अपराध पंजीबद्ध करना चाहिए.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक पत्रकार से चर्चा के दौरान अकील ने बताया कि पूरे मामले में सबसे बड़े दोषी पुलिस अधीक्षक सरगुजा हैं। जिन्हें लिखित शिकायत देने के बाद भी उन्होंने अपने आरोपी पुलिसकर्मी को बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी अतः उन्होंने इसकी शिकायत भारत के मुख्यन्यायाधीश, बिलासपुर उच्च न्यायालय के मुख्यन्यायाधीश के साथ अन्य जगहों पर करने का मन बनाया है.

अकील ने स्थानीय पत्रकारों की समाज के प्रति संवेदनशीलता की प्रशंसा करते हुए कहा कि पत्रकारों के प्रयास से ही आज आरोपी पुलिसकर्मी को गिरफ्तार करने में पुलिस विवश हुई है। ऐसे मामलों को गंभीरता एवं संवेदनशीलता से इसलिए उठाया जाना चाहिए क्योंकि ऐसे मामलों में आरोपियों को सजा मिलने पर इस तरह के अपराधों में कमी आएगी एवं हमारी बच्चियां सुरक्षित रह सकेगीं.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में निषाद समाज की ओर से सुजान बिंद, राष्ट्रीय महान गणतंत्र पार्टी के सुरेश बुनकर, लेव कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता आदित्य गुप्ता, विपिन चौधरी, दिनेश शर्मा तथा अन्य नागरिकगण उपस्थित थे।

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