शिव शंकर साहनी@अंबिकापुर। (Ambikapur) जब 13 एकड़ जमीन का मुआवजा हकदार को न मिलकर किसी और को मिल जाए तो सोचिए उस व्यक्ति का क्या हाल होगा. ऐसा ही एक मामला मैनपाट में सामने आया है. जहां 13 एकड़ की जमीन का मुआवजा जमीन मालिक को न मिलकर किसी और ग्रामीणों को मिल गया है.अब पीड़ित ग्रामीण मुआवजे के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है.
2 सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा ग्रामीण
(Ambikapur)दरअसल सरगुजा जिले के मैनपाट ब्लॉक के ग्राम पंचायत बरिमा में एक ऐसा मामला सामने आया है. जहां एक ग्रामीण कुल 42 एकड़ जमीन थी जिसमे से 13 एकड़ जमीन बाक्साइड खदान में अधिग्रहण कर लिया गया. लेकिन 13 एकड़ जमीन के मुआवजे के लिए पिछले 2 सालों से सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगा रहा है. जबकि ग्रामीण के हक का मुआवजा किसी और ग्रामीणों को आवंटित कर दिया गया है.
जैसे ही मिली जानकारी पैरों तले खिसकी जमीन
(Ambikapur)इधर ग्राम पंचायत बरिमा के मंझपारा के रहने वाले धनेश राम की 13 एकड़ जमीन को 2 वर्ष पूर्व सीएमडीसी(छत्तीसगढ़ मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) के दौरान खदान के लीज पर ले लिया गया था. लीज पर लिए जमीन के एवज में भूमि मालिक धनेश को कंपनी के द्वारा मुआवजा दिया जाना था. लेकिन काफी दिन बीतने के बावजूद जब पीड़ित ग्रामीण को मुआवजा नहीं मिला तो उसने इस संबंध में जानकारी हासिल की. तब उसे पता चला कि जिस 13 एकड़ जमीन को खदान के लिए उसने सीएमडीसी कंपनी (छत्तीसगढ़ मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन) को लीज पर दे दिया है..उस जमीन की 20 लाख मुआवजा की राशि किसी और को फर्जी तरीके से आवंटित कर दिया गया है. इस बात की जानकारी लगते ही ग्रामीण के होश उड़ गए.
अधिकारियों के पास लगाई गुहार, लेकिन कुछ नहीं हुआ हासिल
इसके बाद पीड़ित ग्रामीण ने मुआवजे की मांग को लेकर अधिकारियों के पास गुहार लगाई. लेकिन अधिकारियों के पास अर्जी लगाने के बावजूद उसे कुछ हासिल नही हुआ. बहरहाल पीड़ित ग्रामीण की 13 एकड़ जमीन का सीएमडीसी बाक्साइड निकालकर भरपूर उपयोग कर रहा है. वहीं ग्रामीण अपने हक के मुआवजे के लिए बीते 2 सालों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रहा है. यह किसी विडंबना से कम नहीं है. किसी भोले-भाले ग्रामीण का जमीन अधिग्रहण कर लिया जाए और उसके हक का मुआवजा भी न मिले. 13 एकड़ जमीन मुआवजा राशि करोडों में है. लेकिन देखिए इस किसान की माली हालत..?