जल, थल, नभ के साथ अब साइबर और स्पेस में भी दुश्मन पर प्रहार: तीनों सेनाओं का संयुक्त सैन्य सिद्धांत जारी

दिल्ली। भारतीय सेना ने भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए जल, थल और नभ के साथ साइबर व स्पेस डोमेन में भी दुश्मन का सामना करने की तैयारी तेज कर दी है।

इसी दिशा में इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ ने एक संयुक्त सैन्य सिद्धांत (डॉक्ट्रिन) तैयार किया है। इसमें साइबर, स्पेस, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर और ड्रोन के जरिए मल्टी डोमेन ऑपरेशन की रणनीति शामिल की गई है। इस डॉक्ट्रिन के तहत विशेष बलों के लिए एयरबोर्न और हेलीबोर्न ऑपरेशन भी अब एकीकृत ढंग से किए जाएंगे। इसका फायदा यह होगा कि तीनों सेनाओं के बीच बेहतर तालमेल बन सकेगा और किसी भी सैन्य अभियान को अधिक सफलता से अंजाम दिया जा सकेगा।

महू स्थित वॉर कॉलेज में आयोजित रण संवाद कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने इस डॉक्ट्रिन को जारी किया। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत कभी युद्ध की इच्छा नहीं रखता, लेकिन मातृभूमि की रक्षा के लिए हर हद तक जाने को तैयार है। उन्होंने बताया कि आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत तेजस, एडवांस आर्टिलरी गन और आकाश मिसाइल जैसे स्वदेशी प्लेटफॉर्म तैयार किए जा रहे हैं। आने वाले समय में हाइपरसोनिक मिसाइल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और साइबर अटैक युद्ध का अहम हिस्सा होंगे।

रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि 2027 तक सेना का हर जवान ड्रोन तकनीक से प्रशिक्षित होगा। सीडीएस चौहान ने स्पष्ट किया कि त्रि-सेवा कमांड पर असहमति राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए दूर की जाएगी। वायुसेना प्रमुख ने इसे जल्दबाजी में लागू करने पर आपत्ति जताई, जबकि नौसेना प्रमुख ने समर्थन किया। सीडीएस ने कहा कि असहमति पर खुली चर्चा सकारात्मक संकेत है और इसका लक्ष्य तीनों सेनाओं का बेहतर समन्वय स्थापित करना है।

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