नेविगेशन बिगड़ने से बढ़ सकती है दुर्घटना की आशंका
दिल्ली। भारत में उड़ानों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल खड़ा करते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने खुलासा किया है कि पिछले दो साल में विमानों के GPS सिस्टम के साथ 1,951 बार छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आई हैं।
GPS यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम उड़ान के दौरान विमान को उसकी सही लोकेशन, दिशा और ऊंचाई बताने में अहम भूमिका निभाता है। इसमें गड़बड़ी से विमान गलत दिशा में जा सकता है, जिससे बड़े हादसे की आशंका बढ़ जाती है।
यह जानकारी नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने लोकसभा में दी। उन्होंने बताया कि वायरलेस मॉनिटरिंग ऑर्गनाइजेशन इन घटनाओं की जांच कर रहा है।
10 नवंबर को DGCA ने GPS स्पूफिंग और GNSएस छेड़छाड़ के रियल-टाइम रिपोर्टिंग के लिए नई SOP भी जारी की थी। हाल ही में दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता, अमृतसर और बेंगलुरु एयरपोर्ट पर GPS स्पूफिंग के मामले सामने आए थे।
पिछले 12 दिनों में यह दूसरी बार है जब सरकार ने संसद में GPS स्पूफिंग स्वीकार की है। 1 दिसंबर को केंद्रीय उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने राज्यसभा में बताया था कि 7 नवंबर को दिल्ली IGI एयरपोर्ट के ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (AMSS) में छेड़छाड़ की गई थी। इस खराबी के कारण 12 घंटे तक फ्लाइट ऑपरेशंस प्रभावित रहे। 800 से ज्यादा उड़ानें देरी से उड़ीं और 20 रद्द करनी पड़ीं।
नायडू ने कहा कि दुनियाभर में रैनसमवेयर और मैलवेयर अटैक का खतरा बढ़ा है। AAI (एयरपोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया) अपने IT सिस्टम को मजबूत करने के लिए एडवांस साइबर सिक्योरिटी अपना रहा है। 7 नवंबर की घटना के दौरान ATC को कई प्रक्रियाएं मैन्युअल तरीके से करनी पड़ीं, जिससे देरी और भीड़ बढ़ गई।
एविएशन विशेषज्ञों के मुताबिक GPS स्पूफिंग उड़ान सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। अगर नेविगेशन डेटा गलत हो जाए, तो पायलट को मिलने वाले रूट, ऊंचाई और क्लियरेंस संकेत गलत पड़ सकते हैं। सरकार ने कहा है कि DGCA और AAI इस खतरे से निपटने के लिए मिलकर तकनीकी सुरक्षा को मजबूत कर रहे हैं।
