एम्स रायपुर में मरीजों को इलाज से पहले पार्किंग शुल्क देना अनिवार्य, पॉर्किंग का ठेका बदमाशों को

रायपुर। रायपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में मरीजों को इलाज से पहले पार्किंग शुल्क देने पर मजबूर किया जा रहा है। बीमार मरीजों से कहा जा रहा है, चाहे आप सिर्फ पांच मिनट रुकें या पांच घंटे, पहले पैसे दो, फिर इलाज के लिए अंदर जाओ। बाइक से आने वाले मरीजों से 10 रुपए और ऑटो या कार से आने वालों से 30 रुपए वसूले जा रहे हैं। 12 घंटे बाद यह शुल्क दोगुना कर दिया जाएगा।

एम्स में रोजाना करीब 3,000 मरीज ओपीडी में आते हैं और उतनी ही बाइक और अन्य गाड़ियां परिसर में आती हैं। ठेकेदार के कर्मचारी बिना पैसे दिए किसी को अंदर नहीं जाने दे रहे हैं। विवाद यह भी है कि पार्किंग का ठेका कोरबा का बदमाश चीना पांडे और उसके गुर्गों के हवाले है। इस व्यक्ति पर हत्या, डकैती, वसूली और अपहरण जैसे गंभीर अपराध दर्ज हैं और उसके खिलाफ जिला बदर भी हो चुका है। ऐसे लोगों के द्वारा मरीजों और उनके परिजनों से बहस होने पर गंभीर स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

एम्स परिसर में पार्किंग शुल्क की सूचना बैनर पर लगी हुई है, जिसमें ठेका कंपनी का नाम “एसएस मल्टीसर्विसेस एम्स रायपुर” लिखा है। 11 साल पुराने एम्स में यह पहली बार पार्किंग शुल्क लागू किया गया है। इसके अलावा, अंबेडकर अस्पताल में लंबे समय से एक ही एजेंसी पार्किंग का ठेका संभाल रही है, जहां कार से 30-50 रुपए और साइकिल से 10 रुपए वसूले जाते हैं। डीकेएस सुपरस्पेशियलिटी अस्पताल में भी सुरक्षा गार्ड पार्किंग शुल्क वसूलते हैं।

एम्स के जनसंपर्क अधिकारी मृत्युंजय राठौर ने बताया कि गाड़ियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए पार्किंग का ठेका दिया गया है, ताकि परिसर में व्यवस्था बनाए रखी जा सके। हालांकि, ठेकेदार की सक्रिय वसूली और गुर्गों की मौजूदगी से मरीजों और परिजनों के लिए परेशानी और तनाव बढ़ गया है।

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